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कोविद कीर्तन


not known him to fail incourtesy and true loyalty. I believe that any course of conduct not perfectly straightforward would be entirely foreign to his nature and habit of thought.

शिक्षा-विभाग के सबसे बड़े अफसर की की हुई इस यथार्थ स्तुति को पढ़कर टेक्स्ट बुक कमिटी के दूसरे मेम्बरों को उपदेश ग्रहण करना चाहिए।

पण्डित आदित्यरामजी नागरीप्रचारिणी सभा के सभासद हैं। टेक्स्ट बुक कमिटी में सभा अपना एक मेम्बर भेजने का बड़ा उद्योग कर रही है। परन्तु गवर्नमेंट के पूछने पर वह कहती है कि उसने पण्डितजी को इस पद के लिए अपना प्रतिनिधि नहीं चुना। क्या सभा ने पण्डितजी से भी अधिक योग्य कोई सभासद इस काम के लिये ढूँढ़ निकाला है ?

भट्टाचार्य महाशय को हिन्दी से भी प्रेम है। कोई ३० वर्प हुए उन्होंने हिन्दी मे "सरस्वती-प्रकाश" नाम की एक सामयिक पुस्तक निकालने का विचार किया था। परन्तु न तो शिक्षा-विभाग ही ने इस विषय मे उनकी सहायता की और न और ही किसी ने। इससे लाचार होकर आपको अपना यह सद्विचार रहित करना पड़ा। खैर, इतने दिनों बाद, अब एक "प्रकाश"-हीन "सरस्वती" निकलने लगी है। आशा है, इस प्रकार, अपने विचार के एक अंश के पूर्ण हो जाने से आप प्रसन्न हुए होंगे। जब आप विद्यार्थी थे तभी