पृष्ठ:क्वासि.pdf/१००

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छासि कोमल खू टी को रच रखीच-- करता हू अगुली का प्रहार -उस जगह जहाँ है एक तार । सर लहरी- कुछ धीमी सी, कुछ कुछ ठहरी,- कुछ अमृतमयी, कुछ कुछ जहरी, कुछ झिल मिलती, कुछ कुछ गहरी, बह पाती, ज्यों नम गगधार--मेरी वीणा म एक तार । जिला जेल गाजीपुर दिनाइ १२१२ चौत्तहर