पृष्ठ:क्वासि.pdf/२६

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स्तूची १ ६ ८ १२ Dwo २० २२ कब मिलेंगे ध्रुव चरण वे लिख विरह के गान प्रिय, जीवन-नद अपार विदेह चेतन-बीमा हम नूतन पिय पाए कलिका इक बबूल पर फूली मेरे मधुमय स्वप्न रंगीले मेघ आगमन वन उदा आनद्धलयका यह विराग-विवाद क्यों प्राणों के पाहुन त्रिय, मैं आज मनी भारी-सी उड्डीयमान दिन पर दिन बीत चले श्राओ, माकार बनो दूभर-सा कटता है तुम बिन जीवन प्रियतम मेरे स्मरण दीप की बाती अगणिता तब दीपमाला अनिमन्त्रित फिर न जे नव स्वर, प्रिय डोले बालो २४ २६ ३४ ४७ मान कैसा ४४ सजन मेरे सो रहे हैं भावी की चिन्ता अब कब तक खोजोगे साजन श्रो प्रवासी .- -- ५७