पृष्ठ:क्वासि.pdf/७०

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अनिमन्त्रित कुछ क्षणों को तुम, तो द्वार मेरे पा गए क्यों ? विगत चि तन से, स्मरण में आज सहसा छा गए क्यों ? द्वार मेरे आ गए चयों? ? धीर पद धरते अटल से, झूमते, झुकते विनय से-- निपट सयमशील से तुम आज मम मन मा गए क्यों ? द्वार मेरे पा गए क्यों? २ तम वशीकरणीय, पीतम, तुम रुचिर बरणीय साजन लाजनत तर नयन में अनविरति के रेंग राग ये क्यों ? द्वार मेरे पा गए क्यों ? ३ श्राम गुअन हो रहा हे स्मरण में, मन में, श्रयण में, प्राण नशी में अचानक मोन स्वर भर गा गए क्यों ? द्वार मेरे आ गए क्यों ? यह दिवाली की अमावस, धुल रहा नभ में तिमिर रस, तेतालीस