पृष्ठ:क्वासि.pdf/७१

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वासि सॉक तक, रुक, दीप नो से कहो, शरमा गए क्यों ? द्वार मेरे आ गए क्यों? इस अमावस के तिमिर में शुम्भ गाए है दीप मेरे, निरिड घन तम में, हृदय को हृदय से निलगा गए क्यों द्वार मेरे गा गए क्यों? चचात्तीस