पृष्ठ:क्वासि.pdf/८५

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विरमृत तान हे मेरी निन्मृत्त मृदुल तान, दे लेड वही प्राचीन गान, हे मेरी विस्मृत मूदुल तान । ? श्राहत हिय की कर शुभपा, दे सोल आज स्वर मजूपा, नीरवता निशा हटा सजनी, छिटका दे निरवणता अपा, तू गाजा, छिड जा,री अनान, हे मेरी निम्मृत मृदुल ता7 ! 7 मेरे मानस नम मण्डल में,- मेरी आँखों के जल थल में, इन श्रवण युगल में लहरा दे- अपनी लय लहरी पल पल में, मत फर विलम्ब अब मान मान,-ऐ मरी विस्मृत मृदुल तान । ३ स्तर लिपटे है विस्मृत पट में, ज्यो दृग छिप जाते घूघट में, उनसठ