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खग्रास

अलइत्तहाद अल अरबी

१४ फरवरी को अम्मान में जोर्डन के शाह हुसेन और ईराक के शाह फैजल एक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर रहे थे। दोनो देशो के चोटी के राज पुरुष इस महत्वपूर्ण घोषणा की साक्षी स्वरूप उपस्थित थे। संघ की बैठक रात भर बालमान महल में समारोह के साथ होती रही थी। और अब उस घोषणा पर हस्ताक्षर हो रहे थे जिसके द्वारा दूसरा अरब संघ प्रतिष्ठित किया गया था। इस नए अरब संघ सम्बन्धी समझौते पर वरिष्ट मंत्रियो, राजदूतो तथा सेनाध्यक्षो के भी हस्ताक्षर किए गए थे। जोर्डन के शाह हुसेन के चचेरे भाई २२ वर्षीय शाह फैजल इस संयुक्त राज्य के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। हस्ताक्षर के बाद जोर्डन के शाह हुसेन ने खड़े होकर कहा---"मित्रो, इस घोषणा पत्र के द्वारा आज हम अरब देशो में एक नए संगठन की स्थापना कर रहे है। आज से जोर्डन और ईराक एक संयुक्त अरब संघ बन गया है। इस अरब संघ की एक सेना, एक विदेश मंत्रालय, और एक ही प्रकार की अर्थ व्यवस्था रहेगी तथा विदेशो में भी दोनो देशो के पृथक्-पृथक् दूतावासो को तोड़कर एक कर दिया जायगा। संघ के प्रधान शाह फैजल रहेगे।"

इस घोषणा के बाद उठ कर शाह फैजल ने शाह हुसैन का आलिंगन किया और कहा---"मेरे जीवन का यह भारी खुशी का मौका है। और अरब की एकता की ओर यह हमारा प्रभावशाली कदम है। मैं अल्लाह से प्रार्थना करता हू कि वह संघ को सफल बनाए, जो सभी अरबो की अच्छाई के लिए है।"

सोवियत रूस इस उदय की पीठ पर था जिसकी अजेय शक्ति की घोषणा स्पूतनिक और अन्तर्राष्ट्रीय प्रक्षेपणास्त्र और आणविक पनडुब्बियाँ कर रही थी। यह स्पष्ट था कि यह संयुक्त अरब राज्य पश्चिमी देशों पर आश्रित 'नाटो' राष्ट्रो के सम्पर्क से पृथक् हो रहा था। यह स्वाभाविक था कि पश्चिमी राष्ट्र अरब राष्ट्र के इस उदय को भय की दृष्टि से देखे। उनके सामने यह भी भय था कि यदि ईराक सऊदी अरब, जोर्डन और अरब का इस नूतन संयुक्त अरब राज्य में विलय हो गया तो विस्तृत तेल क्षेत्रो पर से