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खग्रास

जिसमें १६,००० गैर अफ्रीकी और ४०० भारतीय भी है। अब घाना और गिन्नी का एक स्वतन्त्र संघ बन गया था।

जब मिश्र के राष्ट्रपति नासिर ने ऊँची आवाज से कहा---"स्टीम और बिजली के विकास में पीछे रहने के कारण हमें भारी क्षति उठानी पड़ी है। किन्तु यदि हम इस परमाणु और राकेट के युग में पीछे रहे तो हमें उक्त क्षति की अपेक्षा बहुत अधिक क्षति उठानी पड़ेगी। पिछले जमाने में तो लोग पीछे रहना बर्दाश्त कर सकते थे, परन्तु अब जमाना बदल चुका है। जो पीछे रहेगे, अपना जीवन खो बैठेगे। मोटरो के साथ तो ऊँट चलते रहे पर अब वे राकेटो का सामना नहीं कर सकते। जिस समय योरोप में असभ्यता का बोलबाला था अरब देश सभ्यता का केन्द्र बना हुआ था और अब मिश्र परमाणु और राकेट के युग में भी पीछे नहीं रहेगा।" तो संसार की जातियाँ चौंक उठी। घाना ग्रीनविच रेखा पर ५ और ग्यारह अक्षॉश के बीच स्थित है। जहाँ बड़े-बड़े मैदान, छोटी-छोटी पहाडियाँ, जंगल, और नदियाँ है। यहाँ का तापमान ७० से ९० डिगरी फारेनहाट रहता है। तथा वर्षा ३० से ८० इंच तक होती है। प्रमुख नगर अकारा (राजधानी) कुयासी, सैकौदी, तकोरादी तथा कैम्पकोस्ट है।

नवीं दसवीं शताब्दी में घाना अफ्रीका का एक समृद्ध साम्राज्य था। उसके पराभूत होने पर योरोपीय जातियो ने वहाँ प्रविष्ट होकर उसे स्वर्णतट (गोल्ड कोस्ट) नाम दिया। पन्द्रहवी शताब्दी में जब यूरोपियन लुटेरे सोने की चिड़िया-भारततक पहुँचने के लिए हाथ-पैर मार रहे थे, तभी पन्द्रहवी शताब्दी के अन्तिम चरण में पुर्तगालियो ने गोल्डकोस्ट में एलमिना दुर्ग स्थापित किया था। पुर्तगालियो के बाद ब्रिटिश, श्वीड, जर्मन और डेन यहाँ पहुँचे। सारे क्षेत्र में गोरी बस्तियाँ बस गई। और गोल्ड कोस्ट से सोने का व्यापार शुरू हो गया। इसके बाद सत्रहवी शताब्दी में सोने का व्यापार का स्थान गुलामो के व्यापार ने ले लिया। योरोपीय व्यापारी यहाँ से कोई दो करोड़ नर-नारियो को गुलाम बना कर ले गये। अठारहवी शताब्दी के प्रथम चरण में ही अँग्रेजो ने इस क्षेत्र की अधिकांश योरोपीय बस्तियाँ खरीद ली। गुलामो