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पृष्ठ:खग्रास.djvu/१४५

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खग्रास

बढ़ा लिया था। नए बजट में यह भी तय किया गया था कि नाटो, सीटो और मीडो को तो निर्धारित ही सहायता दी जाए, परन्तु आन्तरिक सुरक्षा में व्यय बढ़ाया जाय। अमेरिका और उसके साथी राष्ट्रों की रक्षा पर कुल रकम दो खरब ३५ अरब रखी गई थी।

रूसी उपग्रहों की सफलता से अमेरिका में वर्तमान शासन के विरुद्ध एक भावना फैल गई। भूत पूर्व राष्ट्रपति ट्रू मेन ने भी राष्ट्रपति को मलामत दी थी। तथा सभी अमरीकी पत्रों ने विदेश मन्त्री डलेस की खिल्ली उड़ाई।

इण्डोनेशिया

साढ़े सात हजार वर्गमील से कुछ ही कम और लगभग ८ करोड़ की आबादी का देश इण्डोनेशिया का प्राचीन भारत से एक अखण्ड सांस्कृतिक सम्बन्ध रहा है। प्राचीन भारतीय वर्मा से लेकर मलाया तक के भूभाग को स्वर्ण-भूमि और जावा-सुमात्रा आदि द्वीपों को स्वर्ण द्वीप के नाम से पुकारते थें। इनका सम्मिलित नाम "मलायाशिया" था, जो अब भी है। वह लगभग छै हजार द्वीपों का एक द्वीप-पुन्ज है। अरब लेखकों ने भी उसे स्वर्ण द्वीप ही कहा है। कुछ लेखकों के मत से इस नाम का कारण यह है कि यहाँ जगह-जगह स्वर्ण पाया जाता था। इस द्वीप पुज में सुमात्रा सबसे बड़ा है। बौद्ध भिक्षु बुद्धगुप्त ने इन द्वीपों में बौद्ध धर्म का प्रचार किया था। खनिज उत्पादन की दृष्टि से यह देश अत्यन्त समृद्ध है। कथा सरित्सागर से प्रकट है कि भारत के बहुत व्यापारी इस स्वर्ण द्वीप से व्यापारिक अभियान करते थें। ई॰ स॰ ३५२ में चीनी अनूदित बौद्ध सूत्र ग्रन्थ में जम्बूद्वीप का वर्णन करते हुए लिखा गया है कि वहाँ २५०० राजा राज्य करते थें। सातवीं शताब्दी में सुमात्रा का राजा 'जयनाश' था जो बौद्ध था। ईच-चिंग नामक एक बौद्ध चीनी भिक्षु ने लिखा है कि सुमात्रा बौद्धधर्म का केन्द्र है। सुमात्रा के राजा श्री विजय का राज्य बहुत फैला हुआ था। मलाया और जावा भी उसी के राज्य के अन्तर्गत थे। ई॰ स॰ ६०० से ७४० के बीच श्री विजय के दूत अनेक