पृष्ठ:खग्रास.djvu/१६१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१६१
खग्रास

और अब लिव्स ग्लेशियर पर पहुँच रहे थें। इस समय वायुयान एक भयंकर दर्रे को पार कर रहा था। चालक ने सावधान रहने की सूचना दी और लिजा आवश्यक संदेश कैम्प और मास्को भेज तन्मय होकर रेडियो फोटो लेने में व्यस्त हो गई।

इस समय यन्त्र पूरी शक्ति से चल रहे थें। दर्रे के दोनो ओर ऊँची-ऊँची हिमशृग थें। चालक चिल्लाया—

"खतरा, सावधान"

जोरोवस्की व्यस्तभाव से चालक के पास पहुंचा। चालक ने कहा—हमे तत्क्षण ऊपर जाना चाहिए—पर हम ऊँचे नहीं उड़ सकते। जोरोवस्की ने देखा सामने एक भयंकर घाटी निकट आती जा रही थी। दर्रा नीचे की अपेक्षा ऊपर तंग था और उसमें भयंकर खाड़िया थी। चालक चिल्लाया—

"तुरन्त, तुरन्त ५०० पोंड बजन फेंक दिया जाए।"

जोरोवस्की ने देखा—कोई यन्त्र नहीं फेंका जा सकता था। उसने वस्त्रों और व्यवहार की वस्तुओं का ५०० पोंड का बन्डल नीचे फेंक दिया।

"और" चालक चिल्लाया।

अब जोरोवस्की ने खाद्य सामग्री का थैला भी घसीट कर बाहर फेंक दिया।

एक उदासदृष्टि उस सामग्री पर जोरोवस्की ने डाली जो ग्लेशियर पर खुल कर बिखर रही थी। परन्तु इसी समय चालक ने हर्ष ध्वनि की-वायुयान ने एक हजार फुट ऊँचाई की छलांग भरी।

दर्रा पार हो गया। अब इंजन नियमित चाल से चल रहा था। लिजा ने परेशान होकर कहा—"अब हम खाएँगे क्या? और इस भयानक सर्दी में बिना वस्त्रों के जीवित कैसे रहेंगे)"

जोरोवस्की ने मुसकराकर कहा—"अब यदि कोई दैवी चमत्कार न हुआ तो हम भूख और ठण्ड से मर जाएंगे। जोरोवस्की की यह हंसी बड़ी

११