देख कर हम हैरान थें कि कौन आया होगा। आपकी तो कल्पना भी नहीं की थी।"
"हाँ, हमी कल और परसो यहाँ आए थें।"
"तो ये राबर्ट एस॰ स्काट और उनके साथी ही हैं न, जो आज से ४५ वर्ष पूर्व यहाँ आए थे?"
"वही है।"
"कैसी भयानक बात है। वे सब जम गए।"
"आज हम अणु युग में है, दोस्त, आओ, देखे कि हम उनके लिए क्या कर सकते है?"
"किन्तु उनके लिए क्या किया जा सकता है अब?"
"इनसे मिलिए, यें है महान रशियन वैज्ञानिक और प्राणी शास्त्री प्रो॰ कुरशानोव। प्रोफेसर एक बार चेष्टा करके देखना चाहते हैं कि उन्हें फिर जीवित किया जा सकता है या नहीं?"
"उन्हें, जो अब से ४५ बरस पूर्व मर चुके थें?" स्मिथ ने प्रोफेसर का अभिवादन करके कहा।
"आइये, एक प्रयोग किया जाय।"
वे सब भीतर पहुँचे। प्रोफेसर ने लिज़ा और जोरोवस्की की सहायता से यन्त्रों को यथा स्थान लगाया। फिर उन्होंने सब तैयारी करके जोरोवस्की से कहा—"तुम हजार सीसी तरल लवण की सीरीज दो, मैं इन्हें हजार वोल्ट का विद्युत धक्का देता हूँ।"
सब कोई सांस रोक कर इस अनहोनी क्रिया को देख रहे थें। जोरोवस्की ज्योंही तरल लवण की सिरीज की अन्तिम बूँद कैप्टिनी स्काट के शरीर में पहुँचा चुके, प्रोफेसर ने बिजली का एक धक्का ४५ वर्ष पूर्व मरे हुए राबर्ट स्काट को दिया—तत्क्षण मृत पुरुष की पलकों और होंठों में एक स्पन्दन हुआ। ऐसा लगा कि वह अभी आँखें खोल देंगे और बोल उठेंगे। परन्तु अफसोस। बस, एक ही स्पन्दन हो कर रह गया।