पृष्ठ:खग्रास.djvu/१७८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१७८
खग्रास


जोरोवस्की अधिक उत्तेजित हो उठे। उन्होंने कहा—"प्रोफेसर, इनका केवल खून जम गया है, खून या कोई शरीर अवयव गला-सड़ा नहीं है। आइए, एक बार इनके शरीर के रक्त को प्रवाहित करने की चेष्टा की जाय।"

"ठीक, बिल्कुल ठीक। यही बात मैं भी सोच रहा हूँ। यह एक आश्चर्यजनक अनहोनी घटना होगी, यदि हम इनमें से एक भी प्राणी को पुनरुज्जीवित कर सके।"

उन्होंने टोपी उतार कर अनन्त शैया पर सोते हुए अपने पूर्व पुरुषों को प्रणाम किया। साथियों ने भी उनका अनुसरण किया। और वे चुपचाप वहाँ से चले गए। जाती बार उन्होंने केबिन का द्वार इस प्रकार आहिस्ता से बन्द किया मानो सोने वाले आहट पाकर जाग न जाएँ। जोरोवस्की ने एक क्रास का चिह्न और सोवियत राष्ट्रीय छोटा सा झण्डा वहाँ लगा दिया।

एक स्पन्दन

दूसरे दिन जब जोरोवस्की लिज़ा और प्रोफेसर कुरशानोव स्काट की केबिन में पहुँचे, तो उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि केबिन के भीतर कोई जीवित आदमी है। एक बार तो तीनों में भय की सिहरन फैल गई। तीनों ही के मन में यह आशंका उठ खड़ी हुई कि क्या मरे हुए पुरुष जी उठे? परन्तु इसी समय उन्हें स्मिथ का गम्भीर चेहरा नजर आया। उन्होंने देखा कि स्मिथ भीतर से चला आ रहा है, उसके साथ एक व्यक्ति और था।

जोरोवस्की ने आगे बढ़ कर हाथ मिलाया और कहा—"आप यहाँ कहाँ?"

"मैं और डाक्टर मोरलैण्ड अभी दो घण्टे पूर्व यहाँ पहुँचे थें। यहाँ जो कुछ हमने देखा उससे हमारे दिलों में जो कम्पन पैदा हुई है, वह अभी तक भी वैसी ही है। हम ने न तो आज तक ऐसा नजारा देखा था, न कल्पना की थी। लेकिन यहाँ रशियन झण्डा और ताजा मनुष्यों के पैरों के निशान