पृष्ठ:खग्रास.djvu/१८२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
१८२
खग्रास

पहने हुए थें। लोग हँसी ठट्टा करते जा रहे थें—और काम भी होता जाता था। कैप्टिन वोरल, जो इस मण्डली में सबसे ज्यादा साहसी हवाबाज था—अभी-अभी अपनी रौकेफैलर की पहाड़ियों की उड़ान करके लौटा था। और वह अपने नए चित्रों को डेबलप करने में लगा था। हरवार बर्फ पिघला कर सैकड़ों गैलन पानी बनाया जा रहा था।

बर्फ के एक कमरे में मौसम सम्बन्धी सब यन्त्र लगे थें—और वहाँ बहुत लोग मौसम का हिसाब-किताब रख रहे थें। बारम्बार वे अपने ठिठुरते हाथों को हीटर पर सेकते थें। इधर यह हो रहा था, और उधर बर्फ के निरन्तर तूफान आ रहे थें। जब तूफान आता था तो कुछ गज के अन्तर का आदमी दीखना भी असम्भव हो जाता था। प्रत्येक चीज पर सख्त बर्फ की मोटी तह जम जाती थी। जिसे तत्काल खुर्चा जा रहा था। रेडियों सैट अपना काम कर रहे थें। और कैम्प के पूरे समाचार मास्को जा रहे थें।

सब काम तेज़ी और तत्परता से इसलिए किए जा रहे थें कि बसन्त के आरम्भ होते ही ध्रुव देश का सर्वेक्षण किया जाए। नवम्बर आरम्भ होते ही ध्रुव देश में बसन्त आरम्भ हो जाता है। इस काम के लिए बड़ी-बड़ी नार्वेजियन स्लेजे बनाई जा रही थी। लकड़ी के तख्तों पर कच्चा चमड़ा मढ़कर इन्हें तैयार किया जा रहा था। तथा कुछ बर्फ-मोटरे तैयार की जा रही थी। इनकी आकृत्ति कुछ-कुछ टैको जैसी थी। वे हल्की और आराम देह थी। परीक्षण के तौर पर स्लेजे और बर्फ मोटरे अब भी चलाई जा रही थी। किन्तु बसन्त की प्रतीक्षा हो रही थी।

वैज्ञानिक का विकट साहस

जिस समय दक्षिणी ध्रुव के श्वेत द्वीप में साहसिक निरीक्षण हो रहे थें, ठीक उसी समय, प्रसिद्ध अमेरिकन वैज्ञानिक स्काट क्रौसफील्ड एक अत्यन्त खतरनाक और जोखिमपूर्ण प्रयोग करने पर आमदा थें। डिपार्टमेण्ट के अध्यक्ष का उलाहना उन्हें खल रहा था। और मुक्त अन्तरिक्ष में रूस का एक छत्र प्रवेश उन्हें सहन नहीं हो रहा था। अन्तत उन्होंने एक्स १५ राकेट-यान में स्वयं मुक्त अन्तरिक्ष की यात्रा का इरादा अपने विभाग के अध्यक्ष पर प्रकट