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खग्रास

पडताल करते थे। यह प्रतिबन्ध पूर्वी बर्लिन मे अधिक था। परन्तु यह उपक्रम अत्यन्त कृत्रिम और वहाँ के निवासियो के लिए दुखदाई था। क्योकि दोनो भागो के नागरिक एक दूसरे के प्रति प्रेम भाव रखते है। वे परस्पर सम्बन्धी भी थे।

सन् १९४५ मे घमासान सग्राम करके जर्मनी परास्त हुआ। और सन् १९४६ मे उसे स्वाधीनता मिली। परन्तु सन् १९५५ के अन्त तक उसने प्राय सभी युद्ध जनित क्षति की पूर्ति कर ससार की राजनीति मे, व्यापार मे, अर्थ व्यवस्था मे, पूर्ववत् सम्मान प्राप्त कर लिया। जर्मनो ने चमत्कारिक ढग से देश का पुनर्निर्माण किया। उनका यह कार्य ऐसा था जिसने ससार को चकित कर दिया। उसने छै वर्षों के अल्पकाल मे अपने चतुर्दिक विनाश को चतुर्दिक उन्नति में परिवर्तित कर लिया था।

बर्लिन और जर्मनी का आधुनिक इतिहास जुलाई सन् १९४५ से आरम्भ हुआ, जबकि पोट्सडाम मे सोवियत रूस, अमेरिका और ब्रिटेन ने द्वितीय विश्य युद्ध मे परास्त जर्मनी पर अस्थायी काल के लिए शासन करने का फैसला किया था। इसी समझौते के अनुसार जर्मनी को चार भागो मे बाँटा गया था। एक-एक हिस्सा रूस, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रान्स ने अपने अधिकार मे ले लिया था। बाद मे चारो देशो के सेनापतियो ने आपस मे समझौता करके बर्लिन शहर, जो कि रूसी भाग के बीच मे आया था, को भी चार भागो मे बॉट लिया था। और तीनो पश्चिमी राष्ट्रो को यह सुविधा दी गई थी कि वे रूस अधिकृत जर्मन क्षेत्र से होकर बर्लिन के अपने भागो मे आ जा सके।

१९४८ की बसन्त मे रूस ने पश्चिमी बर्लिन से पश्चिमी जर्मनी को जाने वाले सभी जल-स्थल मार्ग बन्द कर दिए थे। लेकिन पश्चिमी राष्ट्रो ने हवाई जहाजो से बडे पैमाने पर पश्चिमी बर्लिन को सप्लाई भेजी थी, बाद मे रूस ने घेरा समाप्त कर दिया था।

मई १९४६ मे पश्चिमी राष्ट्रो ने जर्मनी के अपने तीनो भागो को मिला कर पश्चिमी जर्मनी मे 'फैडरल रिपब्लिक' की स्थापना की। इनकी