राजधानी बोन मे स्थापित की गई और सभी नागरिक अधिकार बोन सरकार को सौप दिए गए। पॉच मास बाद रूस ने भी अपने हिस्से मे 'पूर्वी जर्मन डेमोक्रेटिक-रिपब्लिक' की स्थापना की घोषणा कर दी।
इसी समय (१९४९) से जर्मनी के एकीकरण पर गतिरोध बना हुआ था। पश्चिमी राष्ट्र कह रहे थे कि पूरे जर्मनी मे स्वतन्त्र चुनाव करवाने के बाद ही जर्मनी के दोनो भागो का एकीकरण किया जाय, किन्तु रूस कह रहा था कि पूर्वी और पश्चिमी मिल कर एकीकरण के प्रश्न पर समझौता करले। बर्लिन शहर का विभाजन बड़े भद्दे तौर पर और बडी निर्दय रीति से किया गया था। उसमे शत्रु देश से बदला लेने की पूरा-पूरी भावना निहित थी। इस विभाजन ने न केवल बर्लिन जैसे सुन्दर और आदर्श नगर को मलियामेट करके श्रीहीन कर दिया था, उसमे सास्कृतिक दरारे भी डाल दी थी। कई स्थानो पर सडक के बीचो बीच तार लगा कर सडक का एक भाग पश्चिमी भाग मे और दूसरा पूर्वी भाग मे विभाजित किया गया था। बहुत स्थानो पर मकानो के ऊपर तार लगा कर मकानो का भी विभाजन कर दिया गया था। इससे बर्लिन नगर के नागरिको के सभी नागरिक अधिकार और स्वतन्त्रता छिन्न-भिन्न हो गई थी और उन्हे बडी कठिनाई और असुविधा का सामना करना पड रहा था।
एक ही घर मे रहते हुए एक भाई पूर्वी बर्लिन मे था और दूसरा पश्चिमी बर्लिन मे। वे परस्पर मिल भी न सकते थे। बहुतो की पत्नियाँ विभाजन काल मे पूर्वी बर्लिन मे अपने पतियो के साथ नही लौट सकती थी। विचित्र बन्धन था—पति-पत्नियाँ, माता-पिता और पुत्र, एक दूसरे को देख लेते, बाते करके मन भर लेते या तारो मे होकर हाथ मिलाते और अपनी बेवसी पर ऑसू बहाते थे। वे अपने ही देश और नगर मे कैदी थे। सारी दुनियाँ मे नई हवा बह रही थी। नर लोक का आवागमन शून्य अन्तरिक्ष को भेद कर दूसरे ग्रह नक्षत्रो मे हो रहा था। नए युग का नया विज्ञान नया चमत्कार दिखा रहा था, परन्तु कभी जिस बर्लिन ने अपनी मेधा वैभव, और वैज्ञानिक प्रतिभा से ससार की ऊँची से ऊँची कुर्सियाँ अधिकृत की थी,