है। लीजिए, रेडियो सन्देश आने लगे। सुनिए ध्वनि सकेत है। आप न समझ सकेगे। अब वह ६ हजार मील की यात्रा पूरी कर चुका।" बाला बडी देर तक ध्वनि सकेतो को सुनती और एक कागज पर कुछ लिखती रही। तिवारी मूढ की भॉति बैठा देख रहा था। बाला ने कहा—"इस प्रक्षेपणास्त्र भू-उपग्रह मे ३६ हजार पुर्जे हे जो मिलकर और पृथक्-पृथक् कार्य करते ह। आधुनिक शिल्प विज्ञान का यह एक अभूतपूर्व नमूना हे। लीजिए, अब उसकी गति बढ गई और वह १७ हजार मील प्रति घण्टे की गति से शून्याकाश मे पृथ्वी की प्रदक्षिणा करने लगा।"
"परन्तु इसका ईधन क्या कभी समाप्त न होगा?"
"ईंधन की अब क्या आवश्यकता है। अब तो वह पृथ्वी की गुरुत्वा-कर्षण शक्ति के सहारे घूम रहा है। सुनिए, सुनिए—वह अमेरिकन राष्ट्रपति का सन्देश भूमण्डल को दे रहा है।" उसने स्विच जरा ठीक किया। स्पष्ट शब्द सुनाई दिया—
"मैं अमेरिका का राष्ट्रपति बोल रहा हूँ। आपके पास तथा समस्त मानव जाति के पास यह सन्देश भेज रहा हूँ कि अमेरिका संसार के सभी देशो के लोगो के लिए शान्ति एव सद्भावना की कामना करता है।"
"आपका यह यन्त्र तो बडा अद्भुत है। क्या यह साधारण टेलीविजन यन्त्र ही है?"
"नही, पापा ने इसे खास तौर पर अपने लिए बनाया है। साधारण टेलीविज़न से इसमे कई विशेषताएँ है। यह ब्रह्माण्ड के सभी भौतिक परिवर्तनो तथा ऋतुप्रो के भावी उतार-चढाव और विश्व की प्रत्येक घटना को प्रत्यक्ष हमारी आँखो के सम्मुख रखने में समर्थ है। आपने देखा कि आपने अन्तरिक्ष की वाणी प्रत्यक्ष सुन ली।"
"क्या यह आकाशवाणी से भिन्न थी?"
"ओह, सर्वथा भिन्न। अभी तक साधारण टेलीविज़न यन्त्र बहुत निकट के ही दृश्यो और ध्वनियो को अंकित कर सकते है तथा आकाशवाणी भूमण्डल तक ही सीमित है। यह आवाज तो आपने बाह्य अन्तरिक्ष से मुनी