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पृष्ठ:खग्रास.djvu/२६५

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खग्रास


"नही। आपने कहा न कि जितना उठाया जा सके।"

"हॉ, हॉ। जितना"

"लेकिन उठाना तो दूर, मै तो छू भी नही सकता।"

"क्यो भला?"

"बाहर चलिए, वही कहूँगा।"

"खैर चलिए।"

बाला ने खटका दबाया। द्वार बन्द हो गया। लिफ्ट फिर उन्हे उसी कमरे मे ले आई।

अतर्कित तर्क

ड्राइग रूम निहायत आराम देह और गर्म था। एक भीनी मनमोहक सुगन्ध वातावरण मे भरी थी। बाला ने आते ही टेलीविजन का स्विच दबाते हुए कहा—"साढे दस बज रहे है। इस समय अमेरिका वाले फ्लोरिडा स्थित केप केनेवेरल से अपना विशाल प्रक्षेपणास्त्र एटलस-प्रथम छोड रहे है। यह अन्तर्महाद्वीपीय प्रक्षेपणास्त्र है। इसके लिए अमेरिका ने बडी-बडी तैयारियाँ की है। ८५ फुट लम्बे और ४ टन वजनी इस भीषण प्रक्षेपणास्त्र को फेकने मे अमेरिका ने रुपया पानी की भॉति बहाया है। आइए, जरा इसका नजारा देखा जाय।

स्विच दबाते ही आश्चर्यजनक नजारा नजर आया। भीमकाय अमेरिकी प्रक्षेपणास्त्र वज्र गर्जना की भॉति गर्जन-तर्जन करते हुए आकाश की ओर उडा चला जा रहा था। ज्वाला की नेत्रो को चौधियाने वाली लपटे सफेद धुएँ के बादलो मे छिपती जा रही थी। बाला ने कहा—"इसमे तरल इंधन का प्रयोग हुआ है। और इसे पॉच राकेट इजन गति प्रदान कर रहे है। जिनमे ३,६० हजार पौड धक्का देने की सामर्थ्य है। यह पृथ्वी से ६२० मील ऊपर अन्तरिक्ष की अपनी कक्षा में प्रविष्ट होगा। अमेरिकनो का यह एक महान् प्रयोग है। शून्याकाश मे मार्ग-निर्देशन के लिए उसमे एक स्वचालित निर्देशन यन्त्र लगा है। वही इस समय इसका पथ प्रदर्शन कर रहा