सावधान रहना चाहिए। पानी तार की जाली को न छू सके। पानी की सतह और जाली मे परस्पर लगभग २ सैन्टीमीटर का अन्तर रहना चाहिए।"
“यह तो कुछ भी मुश्किल नहीं है।"
"इस स्थिति के बाद बर्तन के पानी मे रासायनिक घोल का एक टेबुल स्पून प्रति सप्ताह दो बार मिलाते रहिए। पौंदो की बाढ के साथ-साथ घोल की मात्रा थोडी-थोडी बढाते रहिये। पानी मे वायु की पर्याप्त मात्रा रखना आवश्यक है। इसलिये प्रतिदिन दो बार ५|५ मिनट धोकनी या पम्प से हवा भरनी चाहिये।
"लेकिन वह रासायनिक घोल क्या है?"
"घोल के अनेक फारमूले पापा ने तैयार किये है। परन्तु यह फार्मूला काम मे लेती हूँ—N. P K Ca Mg। गौण तत्व, यथा लोहा, मैगनीज़, तॉबा आदि की पौदो को अत्यधिक सूक्ष्म मात्रा मे आवश्यकता होती है। साधारणतया पौंदाे की आवश्यकतानुसार ये तत्व काफी मात्रा में पानी और पैदावार बढाने वाले रासायनिक तत्वो मे अशुद्धि के रूप मे विद्यमान रहते है।"
"लेकिन रासायनिक घोल का फारमूला क्या है?"
"मैगनीसियम सल्फेट ०५ ग्राम। डबल सुपरफास्फेट ०.५ ग्राम, पोटेशियम-नाइट्रेट ५ ग्राम और अमोनियम सल्फेट ३ ग्राम। इतनी मात्रा से ४.५ लिटर (१ गैलन) घोल बनाया जा सकता है। ये रासायनिक तत्व किसी विश्वासपात्र विक्रेता से खरीदने चाहिए। बाजार मे ये सुगमता से मिल जाते है।"
"मै अवश्य ही घर लौटकर इनका प्रयोग करूँगा। परन्तु क्या साग सब्जी भी इस प्रकार पैदा की जा सकती है?"
"क्यो नही। आइये देखिए। यह मौसम और गैर मौसम की सारी साग-सब्जियाँ मैंने यहाँ इसी रीति से पैदा की है।"
और प्रतिभा ने हवा मे लटकता हुआ वह खेत दिखा दिया जिसमे बड़े