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खग्रास

भयंकर तेजी से घुमाकर उनके आघात से अणुओ को तोड़ा गया। फिर अणु के अवयवो तथा उनमे निहित शक्ति का अध्ययन किया गया है।"

"इस सम्बन्ध मे तो प्रो० लारेस और शिकागो विश्वविद्यालय के प्रो॰ एनरिको फैर्सी ने विशेष काम किया है।"

"हॉ, प्रो॰ लारेस ने अणुभजक यन्त्र बनाए और एनरिको फैर्सी ने अपने अद्भुत-न्यष्टि-प्रतिक्रिया-वाहक (न्यूक्लियर रि-एक्टर) यन्त्र अणु-न्यष्टि (न्यूक्लियस) मे शृङ्खलाबद्ध प्रतिक्रिया (चेन-रि-एक्शन) उत्पन्न की और अणु विखण्डन द्वारा अपार आणविक शक्ति दोहन का सर्वप्रथम सफल प्रदर्शन किया।"

"तब तो आईस्टीन ने विश्व को एक नया स्वरूप दिया।"

"इसमे क्या सन्देह है। उन्होने गणित द्वारा इस नए तथ्य का प्रति-पादन किया कि विश्व की समस्त घटनाएँ देश काल प्रवाह के अन्तर्गत होती है। उन्होने यह भी कहा—'देश-काल सापेक्ष पदार्थ है। निरपेक्ष नही। देश की भिन्नता काल की भिन्नता है।"

"यह कैसे?"

"सीधी बात है, जब दिल्ली मे दो बजते है तो कलकत्ते मे तीन बजते है। यही देश की भिन्नता से काल की भिन्नता है। संसार के पदार्थों की जो अवस्था कल थी, वह आज नही है। देश के प्रत्येक अवयव मे काल के साथ-साथ क्षण-क्षण परिवर्तन हो रहा है। जब हम सामूहिक रूप से सम्पूर्ण सृष्टि पर दृष्टिपात करते है तभी हमे वृहत्काल और वृहत्देश की अनुभूति होती है और इस वृहत्ता के अन्तर्गत भूत और भविष्य का अन्तर ही लुप्त हो जाता है।"

"अहा, गीता मे कदाचित् यही संकेत है—'कालो स्मि लोक क्षय कृत्युवृद्धो।'"

"आईस्टीन ने कहा था कि यदि हम प्रकाश की गति से (१ लाख ४६ हजार मील प्रति सैकेण्ड) दौड सके तो शताब्दियो पहले की घटनाओ के प्रत्यक्ष दर्शन कर सकते है।"