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पृष्ठ:खग्रास.djvu/३०४

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खग्रास


"हॉ, परन्तु ये सीमा दुर्घटनाएँ दोनों देशो की सरकारो मे सघर्ष की सूचक नही है। भारत और पाकिस्तान के सम्बन्धो की मुख्य समस्या बहुत कठिन है और वह ज्यो की त्यो बनी हुई है। मै तो समझता हूँ कि सैनिक शासन की स्थापना के बाद ये कठिनाई और बढ़ गई है।"

"यह आप किस आधार पर कहते है?"

"सैनिक शासन सरकार पर के अनेक प्रकार के नियन्त्रणो को समाप्त कर देता है। और जब कोई नियन्त्रण नही रहता तो प्रत्येक बात तात्कालिक भावना पर निर्भर करती है। यह एक कठिनाई है। दूसरी कठिनाई यह है कि चाहे सैनिक प्रशासन के पहले हो वा अब, पाकिस्तान को बहुत सैनिक सहायता और सैनिक सामग्री बाहर से मिल रही है। यह समझना अनुचित नहीं कि यह सारी सैनिक सहायता केवल भारत के विरुद्ध ही है।"

"बगदाद समझौता ओर दक्षिण पूर्वी एशिया समझौते के सम्बन्ध मे आप क्या सोचते है?"

"मै तो यही समझता हूं कि इसमे कोई वास्तविकता नही है। फिर भी उन्हे केवल प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर जीवित रखा जा रहा है। इन समझौतो से किसी भी देश को सुरक्षा प्राप्त नहीं हुई है। उल्टे स्थिति बिगडी ही है। इन्ही के कारण ईराक और अन्य देशों में भारी उलट फेर हुए है।"

"पाकिस्तान के सैनिक राष्ट्रपति जनरल अयूब ने अपने हाथ के पत्ते मेज पर रख दिए है। आपका क्या खयाल हे?"

"उसने अपने देश की जनता से कहा है कि प्रजातन्त्र उस देश मे सफल होता है जिसकी जनता पूर्ण शिक्षित होती है।"

"तो पाकिस्तान की जनता असभ्य और अशिक्षित है। इसलिए वहाँ सेना का राज्य स्थापित किया गया है?"

"जनरल अयूब ने जनता को यह भी कृपापूर्ण प्राश्वासन दिया है कि हम प्रजातन्त्र का सार सदा अपने सामने रखेगें और एक ही साल मे पाकिस्तान की सब उलझने सुलझा लेगें।"