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पृष्ठ:खग्रास.djvu/३०७

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खग्रास

दोनो देशो के संगठन से एक विचित्र प्रश्न उठ खडा हो गया है क्योकि घाना राष्ट्रमण्डल का सदस्य है किन्तु गिनी नही।"

"अजी हमे इमसे क्या? हमारी दिलचस्पी तो इसी मे है कि अफ्रीका एकता और स्वाधीनता की ओर बढ़ रहा है।"

"बर्लिन की समस्या भी दुनिया की एक पेचीदा समस्या है जिससे कोई ऐसा बडा झगडा उठ खडा हो सकता है जिसका सारी दुनिया पर असर पडे।"

"इसका हमसे तो कोई सीधा सम्बन्ध नही है। हमारी अपनी समस्याएँ तो पाकिस्तान और गोआ सम्बन्धी है।"

"अफ्रीका और लंका मे बसे भारतवासियो का प्रश्न भी ऐसा ही है।"

"तुम क्या एक वात नही देखते कि दिन पर दिन उपनिवेशवाद मे कठोरता आती जा रही है। अब से ग्यारह साल पहले जब भारत स्वतन्त्र हुआ था तब उसके आस-पास के और देश भी स्वतन्त्र हो गए थे। कुछ दिन बाद सूडान, घाना, मोरक्को और ट्यूनीसिया भी स्वतन्त्र हुए। इसी घटना-चक्र के अनुसार अब गिनी स्वतन्त्र हुआ हे। परन्तु अभी तक भी संसार काबहुत-सा भाग विदेशियो के कब्जे मे है। यद्यपि यह स्पष्ट है कि कोई भी देश अब पराधीन रहना नही चाहता, वे स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष करते रहेगे। इस संघर्ष को रोकने का यही एकमात्र उपाय है कि उन्हे स्वतन्त्र कर दिया जाय।"

"खैर, यह तो कहिए, अनावश्यक आक्रमण को रोकने के लिए रूस ने जो विश्व-व्यापी ८२ चौकियाँ स्थापित करने का प्रस्ताव जेनेवा की गुप्त बैठक मे किया, क्या वह अमल में लाया जा सकेगा?"

"उस प्रस्ताव मे यह व्यवस्था थी कि योरोप के पूर्वी और पश्चिमी सीमान्त के दोनो ओर ५०० मील क्षेत्र तक वायु निरीक्षण क्षेत्र स्थापित किए जाएँ और उस क्षेत्र मे जापान-यूनान, तुर्की तथा ईरान भी सम्मिलित रहे। प्रस्ताव मे एक शर्त यह भी है कि योरोप मे स्थित विदेशी सेनाओ की शक्ति