पृष्ठ:खग्रास.djvu/३३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
खग्रास
३३३


"किन्तु शान्ति के समस्त प्रयत्नो मे सबसे अधिक आवश्यक बात यह है कि निश्शस्त्रीकरण की दिशा मे कोई वास्तविक कदम उठाया जाय।" स्मिथ ने कहा।

"पिछले अगस्त मास मे सयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने भारी बहुमत से निश्शस्त्रीकरण की उस योजना को स्वीकार कर लिया था, और हमारे मित्र हृदय से उत्तम और व्यावहारिक समझते थे। रूम ने इस योजना तथा सयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा स्थापित बातचीत करने की विधि दोनो को ठुकरा दिया है। फलस्वरूप इस अत्यधिक महत्वपूर्ण प्रश्न के सम्बन्ध मे सारी बातचीत ठप्प हो गई।"

"किन्तु निश्शस्त्रीकरण के प्रश्न पर इस प्रकार की चुप्पी संसार गवारा नही कर सकता। हमे समझौते का कोई आधार खोजने की अपनी कोशिश नही छोडनी चाहिए।" लिजा ने कहा।

"किन्तु कोई भी ऐसा निश्शस्त्रीकरण का प्रस्ताव, जिससे वास्तविक आशा हो सकती है, उसमे कम से कम एक बात का होना आवश्यक है। इस प्रस्ताव पर सब अमल कर रहे है, इस विश्वास की इसमे कोई न कोई व्यवस्था होनी चाहिए। विश्वास को पैदा करने तथा उसे बनाए रखने के लिए दोनो ही पक्षो की ओर से कदम उठाये जाने तथा नेकनीयती प्रदर्शित की जानी चाहिए। निश्शस्त्रीकरण सम्बन्धी समझौते मे विश्वास एक आवश्यक वस्तु है। यह विश्वास हस्ताक्षर करने वाले को ही नहीं, अपितु संसार भर के उन करोड़ों लोगो को भी होना चाहिए, जो शस्त्रास्त्रो और तनातनी से उकता गए है।" भूदेव ने गम्भीरतापूर्वक कहा।

"इस समय रूस व चीन एक तरफ से और अमेरिका और इंग्लैंड दूसरी तरफ से भारत की ओर नजर लगाए बैठे है। भारत का एक जरा सा भी इशारा इन महान् शक्तिशाली देशो को चौका देता है। वे लोग भारत की महत्ता समझते है। परन्तु भारत का प्रधानमन्त्री अपने को बहुत सजग रख रहा है। विश्व का यह महान् राजनीतिज्ञ, अपने को अमेरिका तथा रूस के दोनो गुटो से बचा कर रख रहा है। इस समय रूस अमेरिका दोनो ही भारत की मित्रता पाने की होड मे है।"