सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:खग्रास.djvu/३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३६
खग्रास

दोनो आदमियों ने खड़े होकर हाथ मिलाया। लिजा उठ खड़ी हुई। उसने कहा—"आप लोग गप्पे लडाइये। मैं जरा आराम करूँगी।" वह चली गई। नए दोस्त खूब हँस हँसकर गप्पे लडाने और शराब पीने लगे।

स्मिथ ने हॅसते हुए कहा—"आपके स्पूतनिक की तो दुनियाँ मे खूब धूम मची हुई है साहब, हकीकत मे रशियन वैज्ञानिको ने कमाल कर दिखाया है।"

"मैं तो समझता था कि अमेरिका भी पीछे न रहेगा। सुना है, अमेरिका जल्द ही फिर उपग्रह छोड़ रहा है" जोरोवस्की ने मुस्कराकर कहा।

"दुर्भाग्य से हमारे दो प्रयोग असफल हुए। परन्तु हम निरन्तर उद्योग कर रहे है।"

"कामना करता हूँ कि अमेरिका को सफलता मिले। देखिए, वह महिला इधर ही को आ रही है।"

दोनो बाते बन्द करके उसी की ओर देखने लगे। वह स्त्री जब उनके पास से गुजरी तो स्मिथ ने उठकर नमस्कार किया। उसने मुस्कराकर प्रतिनमस्कार किया और चली गई।

जोरोवस्की ने कहा—"बहुत सुन्दर है। क्या आप उसे जानते है?"

"यह कोई रानी है। खूब ठाठ है इसके।"

"मैने तो सुना है कि भारतीय राजा रानियो के बड़े ठाठ-बाट होते थे?"

"वे दिन तो अब लद गए, पर अब भी आप इन रानी साहिबा के ठाठ देखेंगे तो दङ्ग रह जायेगे।"

"क्या आप इनसे परिचित है?"

"यो ही थोड़ा बहुत। इनके कमरे उसी मजिल पर है जिस पर मेरे है।"

"तब तो आप बड़े खुशकिस्मत है, मिस्टर स्मिथ। क्या आपको कभी किसी राजा महाराजा का मेहमान बनने का अवसर मिला है?"