पृष्ठ:खग्रास.djvu/३८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३८
खग्रास

स्मिथ ने अवसर पाकर कहा--"ये है मेरे रूसी युवक मित्र जोरो."

"जोरोवस्की।"

"जी हॉ, ये आपके अद्भुत मोतियो की अभी अभी सराहना कर रहे थे और चाहते थे कि एक बार अच्छी तरह उन्हे देखे। ये बडे अच्छे रत्न पारखी है।"

"तो ये और आप आज रात मेरे साथ भोजन करने की कृपा करे।"

"बहुत खुशी से, लेकिन एक शर्त पर।"

"वह कौनसी?"

"कि यह चिट्ठी पोस्ट करने को मुझे दे दे।" जोरोवस्की ने कहा।

"लीजिये," युवती ने हँसते हँसते चिट्ठी युवक के हाथ मे पकडाकर कहा, "ठीक आठ बजे हम यहाँ लाउन्ज मे मिलेंगे।"

"बहुत अच्छा, नमस्कार।"

युवती ने भारतीय पद्धति से दोनो को नमस्कार किया और उसी तरह इठलाती हुई चली गई।

रानी के चले जाने पर भी ये दोनो नवीन दोस्त बडी देर तक शराब और सिगरेट पीते रहे। थोडी देर बाद स्मिथ, जैसे एकाएक कोई बात याद हो आई हो, इस तरह कहने लगा--"माफ कीजिये, मुझे एक जरूरी काम याद आ गया, अब आज्ञा चाहता हूँ। भोजन के समय हमारी फिर मुलाकत होगी।"

"जरूर, जरूर।"

स्मिथ नमस्कार करके चला गया। जोरोवस्की ने होटल के प्रधान वेटर को बुलाकर कुछ बाते पूंछी और वह भी फिर वहाँ से उठकर चला गया।