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पृष्ठ:खग्रास.djvu/४३

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खग्रास

की ऊँचाई पर सभी तन्तु वाष्प बनने लगे थे। शरीर के सब अंगो में वाष्प नाइट्रोजन व कार्बन-डाइ-आक्साइड पैदा हो जाती थी। जैसे-जैसे प्राणी ऊपर जाता था, वैसे-वैसे तेजी से ये विनाशक प्रक्रिया होने लगती थी। इन प्रक्रियाओ का पशु या मनुष्य के शरीर पर कोई प्रभाव न पड़े, इसके लिए यह आवश्यक था कि उड़ान एयर-कण्डीशन्ड कक्षो मे की जाए। इसीलिए कुत्तो को भी एयर कण्डीशन्ड कक्षो में रखा गया था। उनके शरीर में विभिन्न यन्त्र लगाए गए थे जिससे उसके तापमान, दवाब, श्वास क्रिया-प्रक्रिया व दूसरी बातो का पता लग सके।

दूसरे उपग्रह में जो यन्त्र रखे गए थे, वे पहले उपग्रह में रखे गए यन्त्रो से संख्या में अधिक तथा भिन्न प्रकार के थे। इन यन्त्रो में सूर्य का विकिरण (रेडियेशन) ब्रह्माण्ड किरणो, तापमान दबावमापक यन्त्र जिनसे अनेक रहस्यो का पता लगाना था। इन सब बातो के लिए असाधारण परीक्षण ये दोनो राष्ट्र कर रहे थे जिनमे से कुछ प्रकट किए गए थे पर कुछ नितान्त गोपनीय रखे गए थे।

भेद की बाते

अपने कमरे में पहुँचकर लिज़ा ने एक छोटा-सा चमड़े का बक्स अपने सूटकेस से निकालकर सामने टेबल पर रख लिया फिर उसे खोला। बक्स में असंख्य छोटे-मोटे यन्त्र और तार लगे थे। साधारणतया वह एक छोटा-सा रेडियोसैट जैसा प्रतीत हो रहा था। उसे खास ढङ्ग से सामने टेबल पर रख लिज़ा ने एक स्विच खोल दिया। स्विच खोलते ही एक बहुत छोटा-सा नीले रङ्ग का बल्व मन्द प्रकाश से जल उठा और यन्त्र से एक अति मन्द झकार निकलने लगी। इसी समय जोरोवस्की भी आ गया। लिज़ा ने कमरे का भीतर से ताला बन्द कर लिया। और सोफे पर इत्मीनान से बैठकर कहा---"बड़ी देर लगाई तुमने, मैं तो काफी देर से प्रतीक्षा कर रही हूँ।"

"मैं एक दिलचस्प शाही डिनर का आनन्द ले रहा था। जिन राजा-