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पृष्ठ:खग्रास.djvu/५१

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खग्रास

"ऐसा ही है। अब इसमे बात यह है कि विभिन्न ऊँचाइयो पर इन किरणो का घनत्व एकसा नहीं होता। ज्यों ज्यों ऊँचाई बढ़ती जाती है, इनकी घनता भी बढ़ती जाती है। यहाँ तक कि पृथ्वी से १४० मील की ऊँचाई पर वह वायुमण्डल के निचले स्तर की अपेक्षा डेढ सौ गुना हो जाती है। किन्तु यह क्या? तुम्हारे संवेदन यन्त्र की लाल बत्ती कैसे जल उठी।"

"ओफ, कही कोई हमारी बाते सुन रहा है। जरा ठहरो, देखू तो।" इतना कहकर लिज़ा ने एक खास बटन दबाया और डायल की सुई तेजी से घूमकर एक स्थान पर रुक गई।

लिज़ा ने कहा--"नार्वे में कोई हमारी बात सुन रहा है।" उसने हैड फोन अपने कानो में लगा कर उसका सम्बन्ध यन्त्र से स्थापित किया। फिर उसने एक बटन दबाया और ध्यान से सुनने लगी। सुनते सुनते उसने कहा---"लन्दन आर न्यूयार्क दोनो ही स्थानो से उसका सम्पर्क स्थापित है। वह दोनो जगह संकेत भेज रहा है।" परन्तु इसी समय लालबत्ती बुझ गई। लिज़ा ने कहा--"लो, वह सावधान हो गया। परन्तु खैर, तुम कहो।"

"क्या फिर कोई अन्देशा तो नही है।"

"होगा तो हमे तुरन्त ज्ञात हो जाएगा। वह व्यक्ति भी हमसे छिपा न रहेगा।"

पृथ्वी और आकाश

"खैर, तो मैं कास्मिक किरणो के घनत्व की बात कह रहा था। इन किरणो का वेग भी बहुत प्रचण्ड है और प्रकाश किरणो के समान वह सर्वत्र दृष्टिमान हो सकता है। परन्तु अपने प्रचण्ड दुर्धर्ष वेग के कारण ये किरणे जिस किसी पदार्थ में प्रविष्ट होती हैं, उसी को छिन्न-भिन्न कर डालती है।"

"तो तुमने इनका कैसे सामना किया?"

"मैंने सुरक्षा की व्यवस्था प्रथम ही से कर ली थी। पर नहीं कह सकता हूँ कि सुरक्षा के बावजूद जो किरणे मेरे शरीर में घुस गई है, उनके क्या-क्या प्रवाछनीय परिणाम होगे।"