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खग्रास

"नहीं की होती तो क्या में आज जीता जागता तुम्हारे सामने बैठा होता?"

"परन्तु तुमने इस सम्बन्ध में मुझे कुछ नहीं बताया था। न इसकी चर्चा उस दिन वैज्ञानिको की सभा में की थी।"

"किन्तु मैंने प्रो०--से परामर्श करके एक यन्त्र ऐसा ही लगा लिया था---वास्तव में यह एहतियातन कार्रवाई की गई थी। वास्तविक स्थिति का पता तो अन्तरिक्ष में जाने ही से लगा।"

"ओफ, कितना खतरा उठाया तुमने, मैं तो अब भी जब सोचती हूँ तो भय से काँप उठती हूँ। तुम नहीं जानते कि मेरे ये उन्नीस दिन कैसी दुश्चिन्ता में बीते है। सच पूछो तो मैं इन उन्नीस दिनो में एक दिन भी नहीं सोई।"

"और यदि मैं यह कहू कि ये सब बाते भी मुझे ज्ञात होती रही और मैं कभी-कभी तुम्हे देखता भी रहा तो तुम क्या विश्वास करोगी?"

"नही करूँगी?"

"अच्छा, तुम्हे वह घटना याद है जब हागकाग के वायुयान अड्डे के भोजन गृह में तुम्हारे उस मित्र ने तुम्हारा चुम्बन लेने की चेष्टा की थी और एक करारा चपत खाया था। आवेश के कारण तुम्हारा पर्स उस समय नीचे गिर गया था।"

"माई लव, क्या तुमने यह घटना अपनी आँखो से देखी थी?"

"उसी भाँति, जैसे अब देख रहा हू। मगर अफसोस मेरा वह अत्यन्त महत्वपूर्ण यन्त्र उल्का के धक्के से टूट गया।"

"क्या तुम्हे उल्का का धक्का भी लगा? और जीवित बच भी गए?"

"जीवित बच क्या गया। उसी धक्के की बदौलत तो आज मैं जीवित पृथ्वी पर लौट सका। नहीं तो कोई आशा ही नहीं रही थी।"

"अच्छा? यह तो बड़ी ही अद्भुत बात है। यह कैसे हुआ भला?"

"अभी मैं तुम्हे यह बात भी बताऊँगा कि सारा ही विज्ञान का