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खग्रास

"क्या तुम्हे वहाँ से पृथ्वी का कोई देश दिखाई दिया?"

"उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका तथा एशिया और अफ्रीका साफ काले धब्बे के रूप में दिखाई दे रहे थे।"

"क्या चन्द्रमा पर हम वायुयान या मोटर चला सकेगे?"

"नहीं चला सकेगे। उनके लिए हवा वहाँ कहाँ है। न मोटर चला सकते है। इसके लिए समतल भूमि नही है।"

"लेकिन हम बोल तो सकेगे?"

"बोल सकेंगे, पर बोली पास खड़े व्यक्ति की भी सुनाई न देगी।"

"क्यो?"

"क्योकि वहाँ वायु के अभाव में ध्वनि तरंगों की गुजाइश नहीं है। परन्तु पृथ्वी का रेडियो मजे में सुन सकते है। मैंने देखा कि रेडियो तंरगे पृथ्वी के वायुमण्डल को पार करके सीधे चन्द्रमा तक पहुँच रही थी। तथा चन्द्रमा से प्रसारित मेरे सारे संकेत संवाद पृथ्वी पर पहुँच रहे थे।"

"क्या चन्द्रमा का आकार पृथ्वी के समान है?"

"नहीं। पृथ्वी नारंगी के समान गोल है। पर चन्द्रमा का आकार अंडाकार है जिसका एक किनारा पृथ्वी की ओट में और दूसरा उसके विपरीत। जो पृथ्वी से नहीं दिखाई देता। चन्द्रमा का भार भी पृथ्वी से बहुत कम है। पृथ्वी चन्द्रमा से ८० गुना बड़ी है। वहाँ पहाड़ पहाडियाँ घाटी और समुद्र है?"

"समुद्र?"

"हाँ, परन्तु एक दम खाली। वहाँ नौ बड़े और अनेक छोटे समुद्र हैं।"

"खाली समुद्र तो बड़े भयानक गह्वर लगते होगे?

"वही तो हमे पृथ्वी से काले धब्बे दीख रहे है। घाटियाँ ८०-८० मील तक लम्बी चली गई है। पर एक वस्तु वहाँ बडी निराली है।"

"वह क्या?"