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खग्रास

"नहीं। हम लोग भी मास्को में इसके प्रयोग करते रहे है और इस सम्बन्ध में प्रोफेसर की बहुत दिलचस्पी है। असल बात यह है कि इस सम्बन्ध में सबसे प्रथम ज्ञान प्राप्त करने वाले एक भारतीय वैज्ञानिक है।"

"भारतीय वैज्ञानिक? उनका नाम क्या है?"

'उनका नाम और पता अत्यन्त गोपनीय है। प्रोफेसर उन्हे जानते है और उनसे सम्पर्क भी बनाए रखते है। पर हम लोगो को उनके सम्बन्ध में कुछ नहीं बताते। सच पूछो तो वायु सुरङ्ग भी उन्ही का आविष्कार है। उनके विषय में कभी कभी प्रोफेसर बड़ी-बड़ी बातें कहते है।"

"हम तो अभी भारत में ही है, क्या हम उनसे नहीं मिल सकते?"

"कैसे मिल सकते है। जब हम उन्हें जानते ही नहीं। मैंने कल ही प्रोफेसर से पूछा था कि वे आज्ञा दे तो हम उनसे सम्पर्क स्थापित करके अपने अनुभव उन्हे, बताएँ। परन्तु उन्होने अत्यन्त कड़ाई से मना कर दिया।"

"लेकिन क्यो?"

"असल बात यह है कि वे महात्मा इस बात से बहुत नाराज है कि विज्ञान का राजनैतिक दुरुपयोग रूस और अमेरिका की सरकारे कर रही हैं। वे विज्ञान को जन कल्याण की वस्तु बनाना चाहते है।"

"तो नेहरू जी शान्ति और जन कल्याणकारी दृष्टिकोण रखते है सो क्या उन्ही महात्मा का प्रभाव है?"

"नहीं कह सकते। परन्तु मेरा ख्याल है कि वे महात्मा नेहरू से भी अपने को दूर रख रहे है"

"यह तो बड़ी ही विचित्र बात है।"

"तो इसमें आश्चर्य क्या? भारत तो है ही विचित्रताओ का देश।"

फिर मुलाकात

उसी दिन शाम को वही लम्बा आदमी होटल के लाज में अकेला बैठा हुआ सिगार पी रहा था। इस समय उसके शरीर पर भूरे रंग का निहायत नफीस इङ्गलिश कट सूट था, और टाई में एक हीरे का पिन लगा