पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/११

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सात खून।


एक साधारण स्त्री के सामने एक ही सांस में वे रोक टोक इतना थक गए तो फिर अदालत के हाकिमों के सामने कितना और किस तेजी के साथ बोलते होंगे! अस्तु, मैं मन ही मन यही सब बातें सोच सोच कर चकित होरही थी कि मुझे चुपकी देखकर उन बूढ़े जासूम महाशय ने मुझसे यों कहा, —

"दुलारी! सुनो बेटी! यह बरिस्टर साहब यद्यपि मेरे सबसे छोटे लड़के के दोस्त और उसी के हमउम्र भी हैं, परन्तु इनकी विद्या, बुद्धि और वाग्मिता बहुत ही बढ़ी चढ़ी है। यद्यपि अभी दो ही बरस हुए कि ये विलायत से बैरिस्टरी पासकर के यहां आकर इलाहाबाद हाईकार्ट में अपना काम करने लगे हैं, पर इतने ही थोड़े दिनों में इन्होने वे काम किए हैं कि जिनके कारण हाईकोर्ट के बड़े बड़े नामी वकील-बारिस्टरों में इनकी धाक सी बंध गई है, हाईकोर्ट के जजलोग भी इनका लोहा मान गए हैं और अबतक जिन जिन मुकद्दमों को इन्होंने हाथ में लिया, उन उन में ये पूरे पूरा कामयाब होचुके हैं। मेरे लड़के के बहुत आग्रह करने से, और साथ ही यह भी जानकर कि तुम इन्ही की जाति की लड़की हो, ये इस बात पर तुल गए हैं कि तुम्हें अपगं भरसक जरूर ही फांसी से बचावेंगे आगे जगदीश्वर ने जो कुछ तुम्हारे भाग्य में लिखा होगा, वही होगा! अस्तु, अब तुमसे यही कहना है कि एक बेर तुम अपनी सारी कहानी हमलोगों के आगे कह जाओ। बस, उसके सुन लेने पर हमलोग अपनी राय कायम करेंगे और यदि तुम्हारे बचने की कुछ भी आशा को जायेगी तो जीजान से परिश्रम करके तुम्हें बेदाग बचा लेने की कोशिश करेंगे।

बूढ़े जासूस भाई दयालसिंहजी की मीठी बातें सुनकर उन पर मेरी बड़ी श्रद्धा हुई और मैने उनकी ओर देखकर यो कहा,—"महाशयजी, मुझसे जो कुछ आपलोग सुनना चाहते हैं, वे सारी‌‌‍‌‍‌