मात खूम। ( ११५) wwwwwwwwwwwww. के मिशान पहा कैसे बने ? क्या यह उन सभों के मरने के बाद भी इस घर में मौजूद थी! एक यात हुजूर से और भरज कर देगी है, वह यह फि अघ उस फोठरी गौर ससके बाहर हमलोगों के भी पैर के दाग पड़ गए हैं। पोंकि हमलोग धड़ाते हुए इस कोठरी में घुस गए थे, इसलिये वहां पर फैले हुए खून में हमलोगों के पैर डूब गए थे। सो, उस फोठरी में और उसके बाहर भी हमलोगों के पैर के निशान अब पड़ गए हैं! पीछे हमलोगों ने हर मांगन में आफर अपने अपने पैर धो डाले हैं। बस, गरीच परवर! यही तो वहांफा हाल है, जिसकी रिपोर्ट लिखाने हमलोग हुजूर की खिदमत में हाजिर हुए हैं। यहां पर इतना भौर भी अज कर देना मुनासिब होगा कि इस बात की रिपोर्ट लिखाने जप हमलोग वहांसे चलगे लगे थे, तब पहिले हिरवा की मां 'हुलसिया' के घर गए थे। पर यहां जाकर हुलसिया को हमलोगों में बुखार में बेसुध पाया और हिरघा की जोक को ' घर पर मौजूद न पागा। बस, यन्दगेवाज! हमलोगों का यही बयाग है, जो ठोक ठोक लिखाया गया है। इसके गलाये, इस खून या डकैती के मामले में हमलोग मौर कुछ भी नहीं जानते । ___यहां लो पढ़ कर कोतवालसाहब ने हाफिम से यों कहा,- "बम्देने षाज! उन तीनों हरवाहों के दिये हुए इस इजहार फोकलमवाद कर और इस पर उन तीनों के अंगूठे की छाप लेकर सन तीर्गा को तो बेडी हथकड़ी भर दी गई और पुलिस के अफसर सुपरिन्टेन्डेन्ट साइव फी · टेलीफोन ' से इस बात की खबर दोगई। इसके जयान में उन्होंने यों कहा कि, 'दौलतपुर चलने का काफ़ी इन्तजाम फरो, मैं भी सभी माता है।' - " गरज, आध घन्टे के अन्दर सुपरिन्टेण्डेन्र साहब मा गए और इनके हुक्म बमूजिय गाठ कांस्टेबिलों के पहरे में फलगू, ठोढ़ा भौर घोंघा को साथ लेकर हम लोग गाड़ियों पर सवार