(१९४) खूनी औरत का KOIRai भनीय तमाशा देख फर हमलोगों को तो सफल कूम फर गई ! फिर तो देर तक हमलोग सारे घर की देख-भाल फरते रहे, पर सस घर में एफ बुहारी भ' यसो हुई नहीं दिखलाई दी ! यह सय था, पर तिवारीजी की उस नौजवान और कुंघागी लडकी 'दुलारी' को कहीं पत्ता न था ! यह सब देख-सुन कर हमलोग उस मफाग से थाहर हुए और गोशाला में दुलारी फी मज लगे, पर वह कहीं भी न मिली । हां, गोशाला की देख-भाळ पारगे पर यह हमलोगों को मालूम होगया कि, 'भूसा ढोगे का एक छकड़ा और सारे गाय बैस भी गायब हैं !!!'स, हुजूर ! यह सव लीला देख-सुन कर तो हमलोग यही समझते हैं कि, 'शायद गत को डाकू आए होंगे!' पर जब दुलारी फी चिल्लाहट सुन कर उसकी मदद के लिये फालू, धाना, परसा घगैह उस मकान में गए होंगे तो डाकुओं मे उम समों को मार डाला होगा और घर के सब सामानों के साथ थे लोग दुलारी को भी पकड लेगए होंगे । और साथ ही इसके पीना. असबाब ले जाने के लिये बैलों को जोत फर उस छकड़े को भी अपने साथ लेते गए होंगे!' मगर एक बात उस कोठरी में, जिसमें कि धाना इत्यादि कटे पड़े हैं, बड़ी विचित्र देखने में भाई ! वह यह कि, कालू के मुर्दे के पास एक पानी-भरी मिट्टी फी गगरी रफ्नो टुई है ! इस गमरी के देखने से हुजूर यह पाप्त भली भांति समझलेंगे कि वहां पर वह गगरी कड़ाई-झगड़े के होगे के पहले कभी भी म रही होगी, पलिक बाद को पहुंचाई गई होगी। ' तो सल गगरी को इस घर में कौन लेगवा, यह बात हमलोग नहीं जानते । फकत इतनाही नहीं, परन उस कोठरी में, और इस फोठी के याहर भी कई एक कदम तफ खून से भरे ए दुखारी के पैर के निशान मौजूद हैं ! इससे यह मालूम होता है कि धाना वगैह के मरगे के बाद भी दुलारी इस घर में मौजूद थी ! हुजूर दुलारी के पैर के निशा हमसोम मच्छी तरह पहचानते हैं । लेकिन दुलारो के पैर