ने जो रिपोर्ट लिखाई हो, उसे पढ़ो।"
यह सुनकर कोतवाल साइव मे—बामदयाल की लिखाई हुई रिपोर्ट को यो पढ़ना प्रारम्भ किया,—हुजूर, मेरा नाम रामदयाल और मेरे जोड़ीदार का नाम कादिर-बखरा है। हम दोनो रसूलपुर गावं के धागे के चौकीदार हैं। उसी धागे अभी कई घण्टे हुए, भाज ही की रात को दो खून होगप हैं। हम दोनो में से एक तो खुद वहांके थामेदार अब्दुल्लाखां थे और दसरे हींगमखां चौकीदार|उन दोनों के खून होने की खबर हम लोगों को दुलारी नाम की एक नौजवान लड़की में दी। इस बात का खुलासा हाल यह है कि, 'कल दिन के दस बलने के समय एक नौजवान लड़की एक बैलगाड़ी पर बढी हुई रसूलपुर- गावं के थाने पर आई। उस समय हम सब, अर्थात् हींगन चौकीदार को छोड़कर बाकी के हम-सब तो अपनी कोठरी में थे, सिर्फ हींगन चौकीदार थानेदार के पास था। सो, जब वह लड़की थाने पर पहुंची, सप पहिले उसकी वास-श्री हींगन के साथ हुई थी। इसके बाद वह
थागेदार के सामने गई थी, ऐसा ही हमलोगों में होंगम चौकीदार की जयागी सुना था। पर उस लड़की या औरत की हींगन या थागेदार अबदुल्ला के साथ क्या-क्या बात-चीत हुई थी, इसे हमलोग नहीं जान सके, क्योंकि उस वक्त हमलोग वहां पर मौजूद न थे। हां, कुछ देर के बाद जब धागेदार मे उस लड़की को कैदवाली कोठरी में बंद कर दिया, तब हमलोगों को बुलाकर यह हुकुम दिया कि, 'यह लड़की दौलतपुर नाम के गावं से भाई है और अपने घर में पांच खून होजागे की बात कहती है। इसलिये मैं तो अभी हींगन चौकीदार के साथ इसके गाव पर उम खूनों को तहकीकात करने के लिये जाता हूं और तुमसभों को यह हुकुम दिए जाता हूं कि पारी पारी से दो-दो चौकीदार इल खूनी औरत की खूब मुस्तैदी के साथ खबरदारी करना।' यस, इतना
१६) रा॰