स्वर्गीयकुसुम वा कुसुमकुमारी।
*सचित्र सत्य—घटना-मूलक उपन्यास*
मूल्य एक रुपया।
यह उपन्यास सत्यघटना-समन्वित है । एक सच्ची कहानीको उपन्यास के रूप में लिखा गया है । पुस्तक हाथ में उठा लने पर फिर समाप्त किए बिना रखने का जी ही नहीं चाहता । इसके पढ़ने में कभी तो आंखों से आंसू बहने लगते हैं, कभी आनन्द की लहरे पाती हैं और कभी हंसते हंसते पेट फटने लगता है। उपन्याल बड़ा ही शिक्षाप्रद है, और पुरुष, स्त्री, बालक तथा बालिका सभी के लिये उपयोगी है। हिन्दी के उपन्यासों में तो यह सर्वश्रेष्ठ हुई है, साथ ही अन्य भाषाके उपन्यासों में भी यह अपना सानी नहीं रखना । बड़े आकार के कोई सवा दो को पष्ठ इसमें है और दो बहुत ही बढ़िया रंगीन तसवीरें भी लगी हुई है। बाजार में चार चार थाने में भी ऐसी तसवीर न मिलेगी। कुसुन तथा गुलाब के दोनों चित्र देखने ही योग्य हैं । इतने पर भी सब के सुभीते के लिये मूल्य केवल एक रुपया रक्खा गया है । डांक खर्च छः आने है । आप इसे अवश्य मंगाकर पढ़ें।
लवङ्गालता वा आदर्शबाला उपन्यास।
मूल्य आठ आने।
इसे पढ़ने पर पाठकों को बहुत ही आनन्द मिलेगा और वे इस उपन्यास को पढ़कर स्वयं इस बात का अनुभव कर सकेंगे कि "लवंगलता" उपन्यास कितना मनोहर और दिलचस्प है ? यह भी स्त्रियों के पढ़ने योग्य है । ऐतिहासिक उपन्यासों में इसके जोड़ का दूसरा उपन्यास नहीं है।
इसमें महाराज नरेन्द्रसिंह की बहिन लवंगलता का दुराचारी सिराजुद्दौला के चकाबू में फंसकर बड़ी खूबी के साथ अपना धर्म बचाकर निकल पाने का वृत्तांत बड़ी ही उत्तम रीति से लिखा गया है। पढ़ने वालों का पुस्तक उठाकर रखने की जो ही नहीं चाहता है।