के चिखने-चिल्लाने की आवाज़ सुनकर यहां हरगिज ना आना और अपनी कोठरी के अंदर रहना ।' बस, अपने अफसर का ऐसा हुकुम सुनकर हम छओं चौकीदार अपनी कोठरी में आ बैठे । इसके बाद क्या हुआ, इस बात की खबर हमलोगों को नहीं हैं। हां, जब उस जवान लड़की ने हमलोगों की कोठरी के पास पहुंचकर हमलोगों को पुकारा और यह कहा कि, हींगन और अबदुल्ला आपस में लड़ झगड़ कर कर मरे हैं, इसलिये तुमलोग उन्हें जाकर देखो ।' तब इतना सुनते ही हमलोग बहुत ही घबराए और तुरन्त हमलोगों ने जाकर क्या देखा कि, ' हींगन और अबदुल्ला--दोनों मरे पड़े हैं, सारी कोठरी और तखतेपोश खून से रंग गया है, अब्दुल्ला का सिर फटा हुआ है. हींगम के कलेजे में तलवार घुसी हुई है और ये दोनों बेजान होकर तखत पर लुड़के पड़े हैं !' यह सब हाल देख कर हमलोग बहुत ही घबराए और रामदयाल इस वारदात की खबर कर ने तुरन्त कानपुर रवाने किया गया । बस, इतना ही हाल हमलोग जानते हैं, जो अपने इजहारों में लिखवा चुके और कचहरी में भी कह चुके हैं। और यह बात जो उस खूनी औरत ने अपने इजहार में कही है कि, ! रामदयाल ने मुझे दूध पिलाया' यह बिलकुल झूठ है । उसे किसीने दूध तो क्या,पानी भी नहीं पिलाया इसके अलावे, उस औरत की वह बात भी बिलकुल झूठ है, जो कि उसने अपने बयान में रामदयाल और दियानलहुसेन का नाम लेकर अबदुल्ला और हींगन के बारे में की है। क्योंकि रामदयाल और दियानलहुसेन ने अबदुल्ला और हींगन के खिलाफ इस औरत से कुछ भी नहीं कहा था । यहांतक कि उससे किसी भी चौकीदार ने कीसी किस्म की भी बातचीत नहीं की थी।" इत्यादि । बस, उन दोनो का बयान सुनकर फिर मैं कानपुर वापस आ गया । "
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