पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/३३

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सात खून ।

साहब के आगे रखकर यों कहा,--" लीजिए, इस मुकद्दमे के कुल कागजात ये है।"

साहब ने उसे ले, उलट-पलट कर देखा और फिर पारिष्टर साहब के हाथ में उसे देकर कहा,-"आप इसे देखिए और अब जो यह औरत अपना इजहार लिखावेगी, उससे इसे मिलाते जाइए । अगर कहों पर इस वक्त के बयान से पहिले के दिए हुए बयानों में कुछ फर्क पड़े तो उस जगह पर लाल पेन्सिल से मिशान कर दीजिएगा।"

इस पर पारिष्टर साहब गे "अच्छा" कहकर उस कचहरीवाली मिसिल को अगने बांए हाथ से पकड़ा और दाहिने हाथ में लाल पेन्सिल लेली।

भाईजी पहिले ही से सादे कागजों की पोथी और कलम लिए हुए बैठे थे। अब अंगरेज अफसर से भी भाईजी की तरह एक सादी किताब और स्याही-गरी फलम लेली और मेरी भोर देखकर यों कहा,-टुमारा नाम बोलो।"

मैं बोली,--"मेरा नाम दुलारी है।"

साहब,--डेको, डुलारी! टुम को हाम एक बाट बोला है।'

मैने पूछा,--"जी, कहिए ।"

साहब ने कहा,--"टुम बरा भला लेड़को हाय । इश पाशते टुम फो शब बाट शच शच बोलना होगा।"

मैने यों कहा,--" मेरी झूठ बोलने की बात नहीं है। "

इस पर साहब ने कहा,--"टो, अच्छा बाट है। बोलो।"

यह सुनकर मैने मन ही मन जगतिप्ता परमेश्वर गौर अपने माता-पिता को बार बार दण्डवत्प्रणाम किया और उसके पीछे यो अपनी जीवनी कहनी प्रारम्भ की। {{rh|टुंड़ा