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पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/४६

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खूनी औरत का


और हल्ला गुल्ला करोगी तो हमलोग कमजोरी तुम्हें यहांसे घसीट ले जायंगे ! बस जो कुछ तुम्हारा इरादा हो, उसे जल्द कह डाली, क्योंकि रात पिछले पहर के पास पहुंच गई है, इसलिये अग हमलोग जादे देर तक यहां ठहर कर अपने काम को बिगाड़ना नहीं चाहते।"

कालू की काल-समान'बातें सुनकर मेरा कलेजा दहल उठा, पर फिर भी सर्व भय नाशिनो भगवती दुर्गा का स्मरण करके मैंने कालू से कहा,-" सुनो भाई, यदि एक बास का जवाब तुम मुझे ठीक ठोक दे दी, तो मैं अभी-बिना उजुर तुम्हारे साथ चली बलं।"

मेरी बात सुन कर मानों उन सभी शैतानो ने आकाश का चांद पा लिया और सब के सब एक साथ घोल उठे कि,-"कहो, कहो,जल्द कहो; तुम जो कुछ फहा चाहती हो, झटपट कहडालो।"

उन सभी की बातों का रंगढंग देखकर मुसो कुछ आशा हुई और मैने स्त्रियों की प्रलयङ्करी माया का विस्तार करना प्रारम्भ फिया। मैने कहा,--"सुना भाई,हिरथा को मैने जाग बूझ कर नहीं मारा, पर वह मुर्दार आखिर मर ही गया ! ऐसी अवस्था में, अप कि हिरवा का मुर्दा घर में पड़ा हुभा है, मुझे यहाँसे कहीं न कहीं भागना ही पड़ेगा। तो फिर जब कि तुमलोग मुझे यहांसे कहीं ले ही चल रहे हो, तो बस इससे बढ़ कर और कौन सी अच्छो बात हो सकती है ! अब रही यह बात कि तुमगे जो अपने बारह साथियों की मण्डली बतलाई है, उनमें से एफ हिरवा तो मर ही गया, और साल जने यहां से भागे ही हुए हैं। ऐसी अवस्था में अब यदि तुम केवल चार ही जन मुझे अपनी बनाओ और फिर किसी पांचवें का मुझे मुहं न देखना पड़े तो मैं गली से तुमलोगों के साथ जासकती हूं।"

मेरी ऐसी बातें सुनकर वे चारों पापी मारे आनन्द के उछलने