पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/६१

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सात खून


आकर गंगा में डूब मरती, तो कहीं अच्छा होता; क्योंकि जिस धरम को बचाकर तुम यहां आई हो, वही घरम तुम यहां कभी न बचा सकोगी, क्योंकि यह थानेदार ऐसा कमीना है कि तुम्हें अछूती कभी न छोड़ेगा और तुम्हारी आधरू बिगाड़ फर तय दम लेगा। इस शैतान ने अबतक न जाने कितनी औरतों की इज्जत हुर्मत बिगाड़ डाली है और बराबर बिगाड़ता ही रहता है। इस गांध के लोगों का नाकों में दम मा गया है, पर वेचारे लाचार होरहे है, क्योंकि इस नालायफ की किसी तरह यहांसे बदली भो नहीं हाती । इसका साथी हींगन भी एक हो शैतान है और इन दोनो बदमाशों ने इस गांव में तहलका मचा दिया है। मेरी सर्कार बहादुर तो अपनी रियाया की भलाई के वास्ते पुलिस का मुहकमा खोल बैठी हैं, पर इस मुहकमे में पाजे बाजे ऐसे कमीनें घुस आते हैं कि जिनसे रियाया को उलटा और परेशान होना पड़ता है।"

बेचारे दियानतहुसेन की बातें सुनकर मैं मन ही मन बहुत ही डरी कि, 'हाय, भय मैं किस पला में आफ़सी !' अस्तु, मैने उनसे यों कहा,-"भाईसाहब ! तो यहां मैं क्या करूंगी ? हाय, मा आपलोग मुझ अनाथ लड़की को नहीं उबार सफत्ते ?"

मेरी बात सुनकर रामदयामिश्र ने दियानतहुसेन से कहा--"भाई, यह लड़की साक्षात् सिंहवाहिनी दुर्गा है ; सो, यह अपने सप्तीत्व के बल से आप अपना धर्म बचा सकेगी। रही हमलोगों की बात, सा भला हमलोग इसकी कौन सी सहायता कर सकते हैं ? "

यह सुनकर दियानतहुसेन ने कहा,--"हां, भाईसाहब, ! यह तो ठीक बात है, क्योंकि हमलोग एफ महज़ मामूली चौकीदार हैं। ऐसी हालत में हमलोग एक कैदी गौरत को उस ऐयाश और बदकार अबदुल्ला थानेदार से क्यों कर पचा सकते हैं । हां, अगर यह औरत कैद न होती और योंही यहां ना फंसी होती,तो हमलोग