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पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/७२

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खूनी औरत का

साथ प्याले पर प्याले खाली करता चला जा रहा था। हां, हींगन में मेरी बात मान कर फिर एक घूँट शराब भी नहीं पीई थी।

योंही तीन-चार बोतलों को बात की बात में खाली करके अबदुल्ला ने हींगन से कहा कि,--'बस, अब तू यहांसे जा।

किन्तु जब वह अपनी जगह से जरा भी न टलका, त अबदुल्ला में अपने हाथ के शराबवाले प्याले को उस पर खोंच मारा और बड़े जोर से चिल्ला कर यों कहा,-"बस, चला जा, हरामी पिल्ले ! तू फौरन इस फोठरी के बाहर निकल जा।"

प्याले की चोट तो हींगन को न लगी, क्योंकि वह जरा तिरछे होकर उस निशाने को बचा गया था, पर इस प्याले के जवाब में जो उलगे जूता बैंच कर मारा, वह अबदुल्ला के सिर पर जाकर जरूर लगा।

जूते का लगना था कि अबदुल्ला ने म्यान से तल्वार खींच ली और तबतेपोश पर उठ कर वह खड़ा होगया। इसने ही में हींगन भी एफ तलवार लेकर उस तखतेपोश पर चढ़ गया और दोनों के वार चलगे लगे। यह हाल देख कर मारे डर के मैं उठ कर खड़ी तो हो गई थी, पर पैर न उठने से भाग नहीं सकी थी।

योही जैसे ही हींगन मे अबदुल्ला की गर्दन पर तल्वार चलाई थी कि उस ( अबदुल्ला ) मे भी अपनी तल्वार होंगन के कलेजे में घुसेड़ दी । बस, वे दोनों साथ ही उस तखतेपोश पर गिर गए और अबदुल्ला का सिर मेरे पैरों से आफर ठुकराया !!!

यह अनोखा तमाशा देख कर मेरे तो देवता कूच कर गए और मैं चक्कर खा कर जहां खड़ी थी, वहीं गिर गई !

मैं कबतक बेसुध पड़ी रही, यह तो नहीं कह सकती, पर जब मुझे चेत हुआ तो मैंने क्या देखा कि, 'मैं उसी कोठरी में पड़ी हूं, जिसमें कि अबदुल्ला ने मुझे बुलाया था !' यह स्मरण होते ही मैं चट से उठ कर खड़ी होगई और आगे बढ़ चली कि मेरे पैर में