पृष्ठ:खूनी औरत का सात ख़ून.djvu/८५

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सात खून।


औरत को उस ( उंगली से दिखलाकर ) कोठरी में बन्द करके अबद्दुला हींगन चौकीदार के साथ उसी बैलगाड़ी पर इस औरत के गांव की ओर ले गए थे। क्योंकि हमलोगों ने यह सुना था कि, 'शायद यह औरत अपने घर में पांच खून कर आई है !!!'सो, हम सब थानेदार के हुकुम-ससूतिय इम औरत का पहरा देमे लगे। इस जगह इस औरत ने जो यह कहा है कि, ' रामदयाल ने मुझे दूध पिलाया और फिर रामदयाल और दियानतहुसेन ने मुझसे अबदुल्ला और हींगम को बहुतसी शिकायत की।' यह बात इस औरत की सरासर झूठ है। क्योंकि इस औरत के साथ न तो किसीसे किसी किस्म की बातचीत ही की और न दूध हो पिलाया। दूध तो क्या पानी भी इसे किसी ने नहीं पिलाया। हां, पहरा जरूर देते रहे। फिर रात को अदुल्ला और हींगन इक्क पर लौटे इसलिये यह बात हमलोग नहीं जान सके कि इस औरत को वह बैलगाडी क्या हुई ! खैर, जब थामेदार घर लौट आए और खाना-वाना खाकर शराब पीने लगे, तब उन्होने हम छों चौकीदारों को यह हुकुम दिया कि,--"जब तुम सब अपनी अपनी कोठरो में जाकर आराम करो। क्योंकि अब मैं उस कैदी औरत का इजहार लूंगा और उससे उन खूनो को कबूल कराऊंगा । इसमें मुमकिन है कि वह औरत खूब शोर-गुल मचावे, मगर तुमलोग उसकी चीख-चिल्लाहट सुनकर यहाँ मन आना और अपनी कोठरी में ही रहना । यहां मेरे पास सिर्फ हींगल रहेगा। "बस, थानेदार का ऐसा हुकुम सुनकर हमलोग तो अपनी कोठरी में चले गए। फिर जब इस औरत ने जाकर इस खून की धान कही, तब हमलोगो सारे जल्दी के इस औरत को तो अपनी ही कोठरी में बन्द कर दिया और अबदुल्ला व हींगन के मारे जाने की रिपोर्ट करगे कादिर परश और रामदयाल को कानपुर मेला।"

बस, उन छओं का यही बयान था!!!