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खूनी औरत सात खून


हम सब चौकीदारों के ऐसे झूठे बयानों को सुन कर मैं तो दंग रह गई, पर लाचार थी, क्योंकि उनके उन झूठे बयानों के ऊपर जो मैने उजुर किया था, घाह सुना नहीं गया! तब मैने मनही मन यों सोचा कि कदाशित ये लोग दूध पिलागे और अबदुल्ला और हींगन की बुराई करगे की यात इसलिये स्वीकार नहीं करते कि कहीं वैसी बात मान लेग में उन्हीं लोगों को लेने के देरे न पड़ जायं।' किन्तु उनको जिम कोठरी में मैं खुद घुस गई थी और भीतर से मै कुण्डी बढ़ा कर बन्दूक दिखाई थी, उस बात को ये लोग क्यों नहीं सकारते ? पदाचित् उन सभी को इस बात की लज्जा होती होगी कि, एक औरत में इन छः हट्ठे-कट्ठे जवानों के कान काटे !' अस्तु, जो कुछ हो, परन्तु उस थाने पर मेरा स्वयं जाना, मेरी बैलगाड़ी का गायब होना और फिर अबदुल्ला और हींगन के कतल होगे फी खुद खबर देना इत्यादि बातों को , सग चौकीदारों ने जरूर सकारा था। खैर, जितना उन सभी ने सकारा, उतना ही सही !

अस्तु, इसके बाद कानपुर के कोतवाल साहब ने मेरी ओर देख कर यों कहा,--" दुलारी, तुम्हारे घर में पांच लाशें पाई गई और वे कानपुर चालान की गई। गो, उन पांचों खूनों-बलिक यहांक भी दो खून उनमें शामिल करदेगे से उन सातों खूनों-फा चश्मदीद गवाह तो कोई नहीं है, मगर हिरघा के गला घोंटने की बात तुमने खुद ही मंजूर की है। इससे ऐसा होसकता है कि बाकी के छगों खून भी तुम्हारे ही किए हुए हों ! क्योंकि अगी तुमने अपने बयान में यहां के चौकीदारों को भरी हुई बन्दूक दिखला कर गोली मार देने की बात कही है और जांच करने से यह बात भी मालूम हुई है कि वह बन्दूक भरी हुई है! सिर्फ इतना ही नहीं, मलिक जहांगर तुम बैठी थीं, यहां पर तुम्हारे कहगे के मुताबिक एक नंगी तलवार भी धरो हुई गिली है। इन हालसों के देखने