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पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/२०३

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कमलावती

शाह—रानीजी कौन? जिन्होंने हमें आश्रय दिया है?— हाँ।

शाह—रानीजी को हमारी ओर से धन्यवाद देकर कहना, हम लोग उनके बड़े कृतज्ञ हैं। अब वे हमें बिदा करें।

भैरव—आप लोग प्रातःकाल के कार्यो से यदि निवृत्ति हो चुके हों, तो अभी प्रस्थान कीजिये। नाव तैयार है।

शाह—गुर्जर के अतिथि आपकी रानी के निकट और एक बात के प्रार्थी हैं।

भैरव—कहिये।

शाह—यही कि वे स्वयं आकर हमें बिदा देवें।

भैरव—असम्भव, ऐसा कभी नहीं हो सकता।

शाह—क्यों? कल तो वे हमारे साथ आई थीं!

भैरव—पर वह आना कर्तव्य के अनुरोध से था, आज कदापि नहीं आ सकतीं।

शाह—हम मुसलमान हैं। अपने आमंत्रित अतिथि को पूरे सम्मान-सहित बिदा करते हैं। देखते हैं कि गुर्जर की रानी शिष्टाचार की आदर्श नहीं हैं। वे अपने श्रेष्ठ अतिथि का अपमान करने में संकोच नहीं करतीं।

भैरव का मुख लाल हो गया। उसने तलवार पर हाथ रक्खा,