शाहज़ादे ने एक दीर्घ निःश्वास परित्याग कर कहा—रुस्तम,चलो, अब यहाँ ठहरने का काम नहीं है।
सब लोग आगे बढ़े और भैरव भी उनके पीछे चला।
(४)
"मां, क्या यह काम अच्छा हुआ?"
"इसमें बुरा क्या हुआ भैरव?"
"मुसलमान हमारे शत्रु हैं। और फिर, जो यहाँ आये थे, वे लोग हमारे घोर शत्रु हैं।"
"कुछ भी हो; पर थे तो हमारे अतिथि!"
"जान पड़ता है, गुर्ज्जर पर शीघ्र ही विपद् आवेगी।"
"यह कैसे जाना?"
"उन लोगों की बातचीत से मालूम हुआ।"
"कुछ चिन्ता की बात नहीं है। भैरव, तुम भय मत करो, गुर्जरवासी निर्बल नहीं है। कुमार सिंह की शक्ति अभी क्षीण नहीं हुई। गुर्ज्जर का अभी कुछ भी अनिष्ट न होगा।"
पीछे से किसी ने कहा—"सत्य है कमला! गुर्जरवासी निर्बल नहीं हैं।"
कमलावती ने मुँह फेरकर देखा, तो कुमार पीछे खड़े हँस रहे हैं। भैरव कुमार को देखकर अन्यत्र चला गया। कमला ने चिन्तित स्वर से कहा—कुमार! हम लोगों पर विपद् आनेवाली है।
कुमार बोले—विपद्! कमला, जब तक सुलतान महमूद