पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/२११

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
१९९
कमलावती


आप कमलावती को नहीं पा सकते। जब तक गुर्ज्जर में एक भी राजपूत जीता रहेगा, तब तक आप निरापद् नहीं हो सकते।

शाह जमाल—हाँ, रुस्तम, अबकी बार हम गुर्जर को बिल्कुल ध्वंस कर डालेंगे, उसे एक बार ही श्मशान बना देंगे। जिस प्रदेश की प्राकृतिक शोभा ने कभी हमें मुग्ध कर लिया था, उसी प्रदेश को—तुम देख लेना—हम प्रेत-भूमि बनाकर छोड़ेंगे।

रुस्तम—कमलावती क्या इतनी सुन्दरी है?

शाह जमाल—रुस्तम! तुम उस रूप का मूल्य नहीं जानते।

रुस्तम कुछ कहना चाहता था कि सुलतान महमूद स्वय आ पहुँचा। उन्हें देखकर शाह के चेहरे का रंग उड़ गया। रुस्तम का भी हृदय काँप उठा। दोनों आसन त्यागकर ससम्भ्रम उठ बैठे।

सुल्तान ने, गंभीर स्वर में, जमाल की ओर देखकर कहा—जमाल, गुर्ज्जर का क्या संवाद है?

शाह जमाल—जहाँपनाह, संवाद शुभ है।

सुलतान—गुर्ज्जर-पति का सेना-बल कितना है?

शाह जमाल—हम लोगों से बहुत कम!

सुलतान—गुर्ज्जर-विजय करने के लिए तुम्हें कितनी सेना चाहिए?

शाह जमाल—दस हज़ार।

सुलतान—दस हजार! तुमको दस और रुस्तम को पाँच हज़ार देने से हमारा बाहु-बल शिथिल हो जायगा।