पृष्ठ:गल्प समुच्चय.djvu/२३८

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तूती-मैना

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( १ )

किसी को मस्त और किसी को पस्त करने वाला, किसी को चुस्त और किसी को सुस्त करने—वाला, कहीं वामृत और कहीं विष बरसाने-वाला—कहीं निरानन्द बरसाने वाला और कहीं रसानन्द सरसाने वाला यथा अखिल अण्डकटाह में नई जान, नई रोशनी, नई चाशनी, नई लालसा और नई-नई सत्ता का संचार करने वाला सरस वसन्त पहुँच चुका था। नवपल्लव-पुष्पगुच्छों से हरे-भरे कुञ्ज-पुञ्जों में वसन्स-बसीठी मीठी- मीठी बोलो बोलती और बिरह में विप घोलती थी। मधुर मधु- मयी माधवी-लता पर मंडराते हुए मकरन्द-मत मधुकर, उस- चराचर मात्र में नूतन शक्ति सञ्चालन करने वाले–जगदाधारका गुन-गुनकर गुण गाते थे। लोनी लतिकाएं सूखे-रूखे वृक्षों से भी लिपट रही थीं। वसन्त-वैभव ने उस वन को विभूतिशाली बना दिया था।

उसी सघन वन में, नवकिसलय से सुशोभित एक अशोक-वृक्षतले, एक सजीव सुषमा को सौम्य मूर्ति, लहलही लता-सो तन्वी,