चौथी कथा बताओ, उनको क्या दिया जाय ? मैंने एक नुस्खा लिख दिया, पर मुझे यह मालूम नहीं कि दवा उनके पास पहुंची या नहीं। मैं इस गाँव में रह रहा था कि कर्नल रेली साहब की खवर मेरे पास पहुंची कि वह बर्फखाने के निकट, जो परेट के मैदान के निकट है, घायल पड़े हुए हैं। यह सुनकर मैंने गाँववालों से कहा कि साहब बहुत बड़े नामी आदमी हैं। अगर तुम उनके वास्ते खाना-पानी ले जाओगे, तो सर- कार इस सेवा के बदले तुम्हें बहुत इनाम देगी । गाँववाले सात दिन तक बराबर खाना ले गए । पर मैं जब इस गाँव से चला तो कोई दस दिन के पीछे मैंने सुना कि उक्त कर्नल साहब को किसी सिपाही ने कत्ल कर डाला । मुझे इस वावरी-गॉव में रहते कुछ दिन हुए थे कि इतने ही में यह बात प्रसिद्ध हो गई कि जितने अँगरेज़ मेरठ, अंवाला और कलकत्ते में थे, सब कत्ल हो गए, और दिल्ली के बादशाह की हुकूमत स्थापित हो गई। अगर कोई आदमी किसी फिरंगी को अपने घर या गाँव में ठहरावेगा या छिपावेगा, तो वह मारल कर दिया जायगा, और गाँव जला दिया जायगा । यह सुनकर गाँववाले घबराए । और, मुझे रात के समय निकाल- कर एक आमों के बाग में छोड़ आए। वहीं मैं रात-दिन रहता था । रात को कोई-न-कोई गाँववाला मुझे खाना-पानी दे जाता था। ऐसे कठिन समय में मुझ पर जो कुछ बीतता था, कहने योग्य नहीं। दिन-भर धूप की तेजी में जलता था, और
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