पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१२१

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११२ सादर के पत्र पास खड़ी हैं, तो वे जल्दी से दौड़कर हमारे पास आ गए। और सिपाहियों को हटाकर हमसे कहा, ऊपर जाओ । हम सब वहाँ गई, और देखा, कई अफसर मौजूद हैं। वहाँ हम १० बजे तक सूखी-प्यासी रहीं। मेजर एवट साहब ने मंडेवाले बुर्ज पर कहला भेजा कि तोप की पेटियाँ सेज दो, जिससे उन पर सेमों को सवार कराके अपने सिपाहियों की रक्षा में बुर्ज तक पहुँचा दें, क्योंकि यहाँ का कुछ भरोसा नहीं, और बुर्ज इससे अधिक रक्षित स्थान है । थोड़ी देर में पेटियाँ मय तोपों के आई। उनके साथ ३८ नं० रेजिमेंट के कुछ सिपाही थे । मेजर एवट साहब हम सवको उन पर सवार कराकर खुद अपनी कंपनी लेकर बड़े, और आज्ञा दी कि पेटियाँ उनके साथ आयें। ३८० रेजिमेंट के सिपाही उस समय तक चुप खड़े रहे, जब तक कि मेजर साहब कश्मीरी दरवाजे से बाहर नहीं चले गए। पर जब वे चाहर चले गए, तब दरवाजा फोरन् बंद कर लिया, और हमसे कहा कि अगर तुम अभी इस पर से नहीं उतरती, तो हम तुम सबको मार डालेंगे। यह सुनते ही हम पेटियों पर से उतर आई, मगर मेरो बहन न उतर सकी, क्योंकि उसकी गोद में बचा था । उसने सिपाहियों से कहा, जरा ठहरो। पर जव उससे फिर उतरने को कहा, तो उसने बच्चे को मेरी गोद में डाल दिया, और आप झट कूद पड़ी। इस बीच में ५४ नं० रेजिमेंट का एक सिपाही आ गया और $