पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१२३

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११४ गदर के पत्र कहा, इस स्थान से निकट एक गांव था । यहाँ से नहर का एक ठेकेदार आया, और कहा, मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा । प्रातःकाल उसने हमें दूर ले जाकर एक बाग़ में रक्खा, और दिन को यहाँ रहा करो। रात को घर में ले जाता था। वहाँ हम कोठे पर रात काटती थीं। ६ दिन हम वहाँ रहीं। ६ दिन बाद उसके साथी गॅवारों ने उससे कहा कि इन्होंने तुझे बहुत रुपया दिया होगा । उसमें से हमको भी हिस्सा दे, नहीं तो रात को हम इन सबको मार डालेंगे । हमारे रक्षक ने यह बात हमसे कही, और लाचार हम लोग कर्नाल चल दिए। वह भी साथ गया। कमांडर इन चीफ ने इसे एक हजार रुपया इनाम दिया । जो लड़का मैं गोद में लाई थी, वह दो दिन में मर गया। यह भी सुना कि मेरी माता भी इस कष्ट में मर गईं। वह दल, जिसे हमने पीछे छोड़ा था, जिसमें मेरी बहन थी, उसकी तलाश में विद्रोही फिर रहे थे। पर वे ईश्वर की कृपा से इस प्रकार बच गए कि कभी झाड़ियों में छिपते थे, कभी झाड़ियों में बैठे-बैठे और लेटे-लेटे चलते थे । काँटे जो शरीर चुभ गए थे, उनसे खन जारी था।