पृष्ठ:ग़दर के पत्र तथा कहानियाँ.djvu/१२४

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आठवी कथा डॉ० डेविड साहब की मेम ने भी अपनी विपत्तियों का हाल प्रकाशित किया था, जो देहली से कर्नाल तक भागने में उन्हें झेलनी पड़ी थीं। डॉ० डेवि जब घायल हो गए, तो मैं पैदल मिलने को दौड़ी। मैंने उन्हें पहले ही कहला भेजा कि पहाड़ी के बुर्ज पर, जो एक सुरक्षित स्थान है, चले श्रावें । मैपल साहब की स्त्री इस विपत्ति में मेरे साथ थी। एक मित्र की कृपा से उनको बग्घी पर लगह मिली, मैं भी उनके साथ सवार हो गई । जव मैं डेविड साहब के पास पहुंची, तो वहाँ एक अस्पताल की डोली रक्खी हुई थी। मैंने इस विचार से कि डोली में साहब को आराम मिलेगा और वह अच्छी तरह सफर कर सकेंगे, डोली में सवार कराकर साथ लिया। थोड़ी दूर गए होंगे कि कहारों ने जाने से इनकार कर दिया । यहाँ से पालकी गाड़ी में, जो उनके साथ आई थी, सवार कराकर कर्नाल भेजा। और, मेजर पिटरसन तथा मेपल को यहाँ से रुखसत किया । अब हम सब पीछे परेट से गुजरे। रास्ते में तीन बार डॉ० साहब की सवारी बदलनी पड़ी, और इसमें देर लग गई । इस कारण दूसरी स्त्रियों और अँगरेजों से हम पीछे रह गए । इन सबके बाद हम दिल्ली से चले थे। हम केवल दस मील ही चल पाए