ST , गदर के पत्र जो फौज दो हजार सिपाहियों से भी कम हो, जो देहली-जैसे विस्तृत शहर में फैली हुई हो, वह कोई ऊँचे दर्जे की सैनिक शक्ति नहीं रह सकती थी, और इस दशावाजी के होते हुए जिसने हमें चारो तरफ से घेर रक्खा है, मेरी युद्ध- सामग्री की क्या दशा होती? (यदि सार्वजनिक हल्ला कर दिया जाता)। इस विचार से कि फौजी कानून मेरा पथ-प्रदर्शक है, इस बरनेड़े का मुकाबला करने के लिये-जो इस आधार पर उठेगा कि हम देहली के सामने क्यों बेकार पड़े हुए हैं- मानसिक बल को बड़ी आवश्यकता है। फिर भी मैं केवल सर्वोत्तम स्वार्थ प्राप्त करने का प्रयत्न कर सकता हूँ। चोट करने के लिये मैं उचित अवसर को प्रतीक्षा में हूँ | मि० ग्रेट हेड ने जो महत्त्व-पूर्ण योजना पेश की थी, वह यह थी कि दुआबे पर अधिकार जमा लिया जाय । देहली से अलीगढ़ फौजें भेजी जायँ, परंतु मैं यदि नगर में भी होता, तो भी ऐसा नहीं कर सकता था। किला और सलीमगढ़ अभी तक मेरे नेत्रों के सामने हैं, और नगर पर अधिकृत रहना तथा दो हजार से कम सिपाहियों की सहायता से इन (स्थानों) पर आक्रमण करना, यह अर्थ रखता है कि मैं एक आदमी को भी अलग न करूं। हालत यह है कि देहली तोपों से पटी पड़ी है, और वहाँ वे सिपाही मुनीम हैं, जो यद्यपि खुले मैदान में कोई महत्व नहीं रखते, पर पत्थर की .